दिल्ली-एनसीआर में सस्ते होने के बावजूद भी मकान नहीं बिक रहे हैं। रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार बिल्डरों के खिलाफ अदालत में चल रहे कानूनी करवाई के कारण मकान नहीं बिक रहे। बड़े बिल्डरों जैसे आम्रपाली, लॉजिक्स, सुपरटेक और जेपी। इस कारण ग्राहकों का भरोसा दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद के रियल्टी बाजार से कम हो चूका है।

 

इक्रा ने कहा की दिल्ली-एनसीआर में 1.7 लाख मकान जो की 22.2 करोड़ वर्गफुट में बने हैं उनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा नोएडा की हिस्सेदारी है। यहां तैयार हुए 66 फीसदी मकान नहीं बिक पाएँ हैं, जबकि यह आंकड़ा गुरुग्राम में 22 फीसदी और 3 फीसदी फरीदाबाद में है। रियल एस्टेट के लिहाज से रिपोर्ट में कहा गया है कि बुनियादे ढांचे को बेहतर तरीके से दिल्ली-एनसीआर में विकसित किया गया है। यहां मकान के दाम जमीन सस्ती होने के कारण किफायती हैं। दिल्ली-एनसीआर में इसके बावजूद 2020-21 में मकानों की सालाना मांग शुरुआती 9 महीनों में 15 फीसदी से नीचे पहुंच गई हैं, जिस करण पांच साल से ज्यादा समय तैयार मकानों को बेचने में लग सकता है।

 

 

दिल्ली-एनसीआर में सस्ते मकान होने के बावजूद यह बिक नही रहे इक्रा के अनुसार इसका प्रमुख कारण ग्राहकों और बिल्डरों को आसानी से कर्ज ना मिल पाना है।

 

 

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