भारत के ब्रिटिश दूतावास में उच्चायुक्त का पद संभालना काफी जिम्मेदारी भरा और थकाने वाला काम होता है। इस महत्वपूर्ण पद पर एक दिन के लिए बैठाई गई दिल्ली की एक 18 वर्षीय युवती का अनुभव भी कुछ इसी तरह का है।

 

चैतन्या वेंकटेश्वरन को गत बुधवार को इस पद पर काम करने का अनोखा अनुभव मिला। उन्हें एक मिशन के तहत वैश्विक स्तर पर महिलाओं के समक्ष आ रहीं चुनौतियों को समझने के लिए इस पद पर बैठाया गया था। चैतन्या ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि जब मैं छोटी थी, तब नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश काउंसिल की लाइब्रेरी में आया करती थी। यहीं से मुझमें कुछ सीखने की ललक पैदा हुई। एक दिन के लिए ब्रिटिश उच्चायुक्त बनना मेरे लिए एक सुनहरा अवसर था। यहां काम करना काफी चुनौती भरा होता है।

 

ब्रिटिश उच्चायोग वर्ष 2017 से हर साल एक दिन के लिए उच्चायुक्त प्रतियोगिता आयोजित करता आ रहा है। इसमें 18 से 23 वर्ष की युवतियां भाग ले सकती हैं। 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर ब्रिटेन के उच्चायुक्त की ओर से आयोजित होने वाली वार्षकि प्रतियोगिता के तहत चैतन्या चौथी युवती हैं, जो ब्रिटेन की उच्चायुक्त बनीं। भारत में ब्रिटेन के कार्यवाहक उच्चायुक्त जैन थॉम्पसन ने कहा कि यह प्रतियोगिता उन्हें बहुत पसंद है। यह असाधारण युवतियों को मंच मुहैया कराती है।

 

 

समय का किया पूरा सदुपयोग

 

चैतन्या ने वरिष्ठ राजनयिक के तौर पर एक दिन के समय को बेकार नहीं जाने दिया। उन्होंने उच्चायुक्त के विभाग प्रमुखों को उनका काम सौंपा। वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारियों से बातचीत करने के साथ ही मीडिया से भी मुलाकात की।

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