दिल्ली कैबिनेट ने अपनी स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली (Health Management System) के लिए ₹139 करोड़ से अधिक के बजट को मंजूरी दे दी है, जो दिल्ली के प्रत्येक निवासी के संपूर्ण मेडिकल रिकॉर्ड को एक क्लाउड पर संग्रहित करेगा, यह डेटा उनकी पसंद के डॉक्टरों के लिए सुलभ होगा। योजना शुरुआत में दिल्ली सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों को जोड़ेगी और बाद में निजी अस्पतालों को जोड़ेगी।

 

एक सरकारी बयान के अनुसार, क्लाउड-आधारित प्रणाली रोगियों के चेहरे और बायोमेट्रिक पहचान को भी सक्षम करेगी। यह परियोजना एनईसी कॉर्पोरेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को प्रदान की गई है।

 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को कहा कि “दिल्ली के सभी अस्पतालों को स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली (HIMS) से जोड़ा जा रहा है। एचआईएमएस पोर्टल के माध्यम से सभी स्वास्थ्य सेवाओं को एक प्लैटफॉर्म पर लाया जाएगा। जो हमें बताएगा कि एक अस्पताल में कितने बेड्स खाली हैं, दवा स्टॉक और कर्मचारियों की स्थिति, वेंटिलेटर की संख्या और चिकित्सा बुनियादी ढांचे के बारे में भी अन्य जानकारियां देगा। अब मरीजों अस्पतालों में कतारों में खड़े होने की जरूरत नहीं होगी, आप फोन पर ही अपॉइंटमेंट ले सकेंगे और अपनी सुविधा के अनुसार अस्पातल जा सकेंगे.

 

यह प्रणाली डॉक्टरों की अपॉइंटमेंट को निर्धारित करने, ई-प्रिस्क्रिप्शन तैयार करने, दवाएं देने, रोगी को एम्बुलेंस से जोड़ने और विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने में सक्षम होगी। डॉक्टरों के लिए इसमें इलाज के लिए एक ऐसी प्रणाली होगी जो केस रिपोर्ट के लिए वॉयस टू टेक्स्ट या डिजिटल पेन नोट्स रिकॉर्ड करें, और ऑपरेशन थिएटर में अनिवार्य चेकलिस्ट उपलब्ध कराएगी।

 

सिस्टम बैक-एंड लॉजिस्टिक्स को भी एकीकृत करेगा जैसे कि बेड, दवाओं और अन्य सामग्रियों की उपलब्धता। यह प्रणाली कम्युनिटी आउटरीच कार्यक्रमों के लिए भी सहायता प्रदान करेगी।

 

बयान में कहा गया है कि योजना के तहत दिल्ली के सभी निवासियों (वोटर आईडी और जनसंख्या रजिस्ट्री के अनुसार) को एक क्यूआर-कोड सक्षम स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाएगा, और इंटिग्रेटिड डेटा का उपयोग सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए फैमिली मैपिंग के लिए किया जाएगा।

 

एक सरकारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए पूरे राज्य में सर्वे करेगी कि प्रत्येक नागरिक अपना ई-हेल्थ कार्ड बनवा सके। कार्ड अस्पतालों और अन्य समर्पित केंद्रों पर भी बनाए जाएंगे और डोर-टू-डोर अभियान के माध्यम से वितरित किए जाएंगे।

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