इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (आइजीआइ) भारत के पहले एलिवेटेड टैक्सीवे (ईस्टर्न क्रास टैक्सीवे) का निर्माण कार्य अभी जोरों पर है। अभी इस परियोजना का 60 फीसद निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। यदि सबकुछ सही रहा तो अगले वर्ष दिसंबर तक यह टैक्सीवे बनकर तैयार हो जाएगा। 2.1 किलोमीटर लंबे दोहरे एलिवेटेड टैक्सीवे के शुरू होने के बाद एयरपोर्ट पर विमानों को आने जाने के लिए अधिक जगह मिलेगा बल्कि रनवे व टैक्सीवे में दूरी कम होने के कारण इंधन की भी काफी बचत होगी।

 

अनुमान है कि एयरपोर्ट पर उत्सर्जन होने वाले कार्बनडाइआक्साइड में सालाना लगभग 55 हजार टन की भी कमी आएगी। इसके अलावा एयरपोर्ट पर 4.4 किलोमीटर लंबे रनवे का निर्माण कार्य चल रहा है। रनवे संख्या 11/29 के सामानांतर इसका निर्माण चल रहा है। चौथे रनवे के तैयार होने से विमानों को संचालन में काफी सहूलियत होगी।

एलिवेटेड टैक्सीवे टर्मिनल 1 व टर्मिनल 3 को आपस में जोड़ने का कार्य करेगा। इसके बनने से टर्मिनल 3 में अधिक विमानों की आवाजाही हो सकेगी। सूत्रों की मानें तो कई बार पर्याप्त जगह के अभाव में विमानों के उड़ान भरने में विलंब की समस्या सामने आती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि टैक्सीवे पर जगह नहीं मिलने के कारण विमानों टर्मिनल के नजदीक खड़ा किया जाता है। इससे विमानों के आवागमन में दिक्कत होती है।

नया टैक्सी वे विमानों के खड़े होने की जगह की किल्लत को काफी हद तक कम करने में सहायक होगा। अभी आइजीआइ के रनवे संख्या 29/11 से विमान को उड़ान भरने के लिए नौ किलोमीटर की लंबी दूरी तय करनी होती है। नए टैक्सीवे के शुरू होने के बाद यह दूरी काफी कम हो जाएगी। रनवे पर उतरने या उड़ान भरने के दौरान विमानों के संचालन समय मे कमी आएगी। इसके अलावा इंधन की खपत में काफी कमी होगी। इससे कार्बन उत्सर्जन भार को और कम किया जा सकेगा। जीएमआर समूह के उप प्रबंध निदेशक आई प्रभाकर राव ने बताया कि डायल द्वारा एयरपोर्ट पर पर्यावरण सुरक्षा के लिए के नए पहल किये जा रहे हैं।

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