गुरूग्राम के लोगों के लिए ख़ास खबर है। अब दिल्ली जाते समय सरहौल बॉर्डर (Sirhaul Border) पर लगने वाले जाम से वाहन चालकों को राहत मिलेगी। इसके लिए मंगलवार को गुरूग्राम के उपायुक्त डा.यश गर्ग (Dr. Yash Garg IAS) ने डीसीपी ट्रैफिक रविंद्र सिंह तोमर (Ravindra Singh Tomar IPS), एनएचएआई के अधिकारियों और आरएसओ के साथ मौका मुआयना किया है। उन्होंने सरहौल बॉर्डर की स्थिति का निरीक्षण करने के बाद एक कमेटी गठित की है। अफसरों और विशेषज्ञों की यह कमेटी वाहन चालकों को जाम से राहत दिलाने के लिए बेस्ट सोल्युशन सुझाएगी। नई व्यवस्था के लिए डिजाइन भी बनाया जाएगा। उसके बाद उस सोल्युशन पर ट्रायल किया जाएगा।

गुरूग्राम-दिल्ली बॉर्डर पर वाहनों का जाम आम बात
गुरूग्राम-दिल्ली बॉर्डर पर वाहनों का जाम लगना कोई नई बात नहीं है। पहले कहा जाता था कि सरहौल टोल होने की वजह से जाम लगता है। मनोहर लाल खटटर सरकार ने उस टोल को भी हटा दिया, लेकिन जाम की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। खासकर पीक समय में जाम कम नहीं हुआ है। इसका कारण सरहौल टोल प्लाजा के स्थान पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का कॉमर्शियल वाहनों के लिए लगाया गया टोल बताया जा रहा है। वाहन चालकों को सुबह और शाम पीक समय के दौरान लगने वाले इस जाम से राहत दिलाने के लिए मंगलवार को स्वयं उपायुक्त डा.यश गर्ग सड़क पर उतरे। उन्होंने डीसीपी ट्रैफिक रविंद्र सिंह तोमर और एनएचएआई के अधिकारियों के साथ गुरूग्राम-दिल्ली बॉर्डर की स्थिति देखी है।

File:Delhi Gurgaon Toll Gate.jpg - Wikipedia

समाधान तलाशने के लिए अफसरों की कमेटी बनाई
मौका देखने के बाद उपायुक्त डा.यश गर्ग ने कहा, “एनएचएआई के अधिकारियों का पक्ष सुनने के बाद मौजूदा परिस्थितियों में वाहन चालकों को राहत पहुंचाने के लिए डीसीपी ट्रैफिक रविंद्र सिंह तोमर की अगुवाई में एक टीम बनाई गई है। एनएचएआई के अधिकारी, आरएसओ मिलकर बैस्ट सोल्युशन निकालेंगे और उसका डिजाईन तैयार करेंगे। यह कमेटी जब सोल्युशन तैयार कर लेगी तो उस पर कुछ दिन के लिए ट्रायल किया जाएगा। यदि सुझाया गया सोल्युशन कामयाब रहता है तो उसे लागू करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया जाएगा। इसमें चाहे गुरूग्राम जिला प्रशासन को एनएचएआई के चेयरमैन या अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मिलना पड़े। उनसे भी समय लेकर मिला जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि गुरूग्राम जिला प्रशासन का प्रयास है कि सरहौल बॉर्डर पर वाहन चालकों को राहत मिले।

बॉर्डर पर एलबो मोड़ को खत्म किया जाएगा
इस मौके पर अपने सुझाव रखते हुए डीसीपी ट्रैफिक रविंद्र सिंह तोमर ने कहा, “सरहौल बॉर्डर पर हाईवे के दोनों तरफ लेन बराबर संख्या में होनी चाहिएं। गुरूग्राम से दिल्ली जाते समय एमसीडी टोल के बाद जगह कम बचती है। मीडियन और डिवाइडर को धनचरी कैंप की तरफ थोड़ा खिसकाया जाना चाहिए। दिल्ली से गुरूग्राम आते समय हाईवे की चौड़ाई अपेक्षाकृत ज्यादा है और वहां पर वाहन चालकों के लिए ज्यादा लेन उपलब्ध हैं। इसी कारण दिल्ली से गुरूग्राम आते समय वाहन चालकों को कोई कठिनाई नहीं होती है। ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता रहता है।” तोमर का यह भी कहना है कि मीडियन थोड़ा खिसकाए जाने से बॉर्डर पर जो ‘कोहनी’ (एलबो) की शक्ल में मोड़ बनता है, वह भी हट जाएगा। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि सर्विस लेन को भी हाईवे के कैरेज-वे में शामिल कर लिया जाए।

हाईवे के कैरेज-वे पर 16 लेन उपलब्ध हैं
फिलहाल गुरूग्राम से दिल्ली जाने के लिए हाइवे पर एनएचएआई ने उद्योग विहार के ट्रैफिक के लिए बिल्कुल बाएं में तीन लेन छोड़ रखी हैं। उसके बाद 6 लेन पर एमसीडी का टोल बना हुआ है और सामान्य वाहनों के लिए केवल सात लेन बचती हैं। वहीं, दूसरी तरफ दिल्ली से गुरूग्राम आने के लिए हाईवे के कैरेज-वे पर पूरी 16 लेन उपलब्ध हैं। रविंद्र सिंह तोमर ने कहा, “उपायुक्त को दिखाया कि बोर्डर पर मोड़ वाले (एलबो) स्थान पर मीडियन के साथ वाली तीन लेन खाली रहती हैं अर्थात् वाहन चालकों द्वारा उपयोग में नहीं लाई जा रही हैं।”

मीडियन खिसकाने से कोई लाभ नहीं होगा
एनएचएआई के अधिकारियों का पक्ष था कि एमसीडी का टोल उच्च न्यायालय के आदेशों पर लगाया गया है, जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश थे कि दिल्ली में प्रवेश करने वाले कॉमर्शियल वाहनों के लिए उपयुक्त स्थान पर टोल बैरियर लगाया जाए। उनका कहना था कि टोल समेत हाईवे पर दोनों तरफ बराबर चौड़ाई है और लेन भी बराबर संख्या में हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि मीडियन को धनचरी कैंप की तरफ खिसकाया जाता है तो भी रजोकरी फ्लाईओवर को जाने के लिए केवल 8 लेन का कैरेज-वे उपलब्ध है। अतः मीडियन खिसकाने से कोई लाभ नहीं होगा।

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