बैंक्वेट हॉलों के मालिकों के लिए एक अछि खबर आयी है , साथ ही यह खबर उनके लिए भी है जो पिछले साल महामारी के दौर में मरीजों के इलाज के लिए समर्पित अस्पतालों की अतिरिक्त व्यवस्था के तौर पर किया गया। ऐसे बैंक्वेट हॉल मालिकों को उस अवधि के लिए किराया देने पर दिल्ली सरकार विचार कर रही है।

अडिशनल स्टैंडिंग काउंसिल संजय घोष ने कोर्ट में कहा कि चूंकि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा-66 के तहत इस तरह से शामिल की गई संपत्ति के लिए एक घटक किराए के भुगतान से जुड़ा है, इसीलिए बैंक्वेट हॉल के मालिकों को उसके लिए बकाया रेंट देना ही होगा। सरकार की ओर से यह तर्क बैंक्वेट मालिकों के दावों के जवाब में दिया गया, जो 15 जून 2020 के आदेश को अपील करने हाई कोर्ट पहुंचे थे।

इस आदेश के जरिये कोरोना मरीजों के इलाज के लिए जुटे शहर के कुछ बैंक्वेट हॉल और कम्युनिटी सेंटर को अस्पताल के रूप में ले लिया गया था कम्युनिटी वेलफेयर बैंक्वेट, रेडी मिंट और ऐसे ही कुछ और बैंक्वेट हॉल के मालिक इसके खिलाफ इन्साफ की लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खट खटाया था । उन्होंने कोर्ट से कहा कि याचिका दायर करने के बाद 21 अगस्त, 2020 को उनकी संपत्तियों का कब्जा वापस उन्हें लौटा दिया गया। पर, सवाल संबंधित आदेश की वैधता या ऐसे आदेश पारित करने के अधिकार को लेकर अब भी बरकरार है। दावा किया गया कि कानून के मुताबिक ऐसी संपत्तियों को लेने का आदेश देने वाले अधिकारी के लिए उसी समय इसका मुआवजा तय करना भी जरूरी है। जोर दिया गया कि इसके लिए किसी आवेदन की जरूरत नहीं।

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