दिल्ली एयरपोर्ट ने ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के उद्देश्य से अगले चार महीनों के भीतर 62 इलेक्ट्रिक वाहनों को अपने बेड़े में शामिल करने का फैसला किया है. इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (IGIA) का संचालन करने वाली कंपनी दिल्ली एयरपोर्ट इंटरनेशनल लिमिटेड (डायल) ने सोमवार को यह जानकारी दी. डायल ने एक बयान जारी कर कहा कि वह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है और हमारा लक्ष्य 2030 तक एयरपोर्ट को ‘शून्य कार्बन उत्सर्जन एयरपोर्ट’ बनाना है.

 

प्रतिवर्ष 1000 टन कार्बन उत्सर्जन में आएगी कमी

डायल ने कहा कि हम पहले चरण में 62 इलेक्ट्रिक वाहनों को लॉन्च करेंगे जो सालाना ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में एक हजार टन की कमी लाने में मदद करेंगी. उन्होंने कहा कि इन वाहनों और अन्य हवाईअड्डा हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नियोजित स्थानों पर उच्च वोल्टेज वाले फास्ट चार्जिंग स्टेशन भी लगाए जाएंगे. डायल ने सोमवार को अपना हरित परिवहन कार्यक्रम शुरू किया, जिसके तहत चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिक वाहनों को हवाई परिचालन क्षेत्र में शामिल करने का निर्णय लिया है. बता दें कि एयरपोर्ट के रनवे टैक्सीवे और एप्रन जो विमानों के आगमन और प्रस्थान से जुड़े होते हैं उन्हें ही एयरसाइड एरिया कहा जाता है.

 

अक्षय ऊर्जा से बिजली प्राप्त करने की कोशिश

डायल के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा कि हम अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए एयरपोर्ट से हल्के पेट्रोल-डीजल के वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर उनकी जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वच्छ परिवहन वातावरण सुनिश्चित करने के लिए किसी भी भारतीय हवाई अड्डे द्वारा यह अपनी तरह की पहली पहल है. उन्होंने कहा कि डायल अपनी 100% बिजली अक्षय स्रोतों से प्राप्त करने की भी योजना बना रहा है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इन वाहनों की चार्जिंग में इस्तेमाल होने वाली बिजली भी कार्बन उत्सर्जन मुक्त हो. वर्तमान में डायल टर्मिलन 3 से यात्री परिवहन केंद्र भवन तक यात्रियों के परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक बसों का इस्तेमाल कर रहा है. ये बसें इन दोनों स्थानों के बीच 20 मिनट के नियमित अंतराल पर यात्रियों को ले जाती हैं.

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