बारिश के पानी की बर्बाद होने से बचाने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार ने वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाने के नियमों को आसान बनाने का फैसला किया है। जल मंत्री एवं दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर कई अहम फैसले लिए। इस प्रणाली को लगाने वालों को सरकार 50 हजार रुपये तक की वित्तीय सहायता देगी। साथ ही, पानी के बिल पर 10 फीसद की छूट मिलेगी।

एक सौ वर्ग मीटर या उससे अधिक क्षेत्रफल में बने घर में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली लगाना अनिवार्य है। 31 दिसंबर तक लोगों को अपने घर में इसे लगाना होगा। लोगों को परेशानी न इसलिए अब इसके लिए दिल्ली जल बोर्ड के बजाय काउंसिल आफ आर्किटेक्चर में पंजीकृत किसी भी आर्किटेक्ट से प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है। पहले दिल्ली जल बोर्ड से प्रमाणित कराना होता था।

सत्येंद्र जैन ने कहा कि भूजल स्तर को बढ़ाने और वर्षा जल का कुशलता पूर्वक उपयोग करने के लिए दिल्ली सरकार ने कई प्रयोग का अध्ययन किया है। इसमें राजस्थान के डूंगरपुर का वर्षा जल संग्रहण माडल भी है। इसे ‘इनलाइन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के नाम से जाना जाता है। यह काफी किफायती है। यह जल संग्रहण करने वाली प्रणाली नई तकनीक के उपयोग करके बनाई गई है। इसमें बारिश का पानी संग्रहण करने वाले गड्ढे की जागह सीधा बोरवेल में जाता है।

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बारिश का पानी पाइप के अंदर ही फिल्टर हो जाता है, इसलिए अलग से फिल्टर प्रणाली या हार्वेस्टिंग पिट बनाने की जरूरत नहीं पड़ती। पारंपरिक वर्षा जल संग्रहण प्रणाली बनाने में 75 हजार से एक लाख रुपये तक का खर्च आता है। वहीं, यह प्रणाली मात्र 16 हजार रुपये में तैयार हो जाती है। वर्षा जल संग्रहण को बढावा देने के लिए जल बोर्ड ने दिल्ली के सभी जिलों में 12 जल शक्ति केंद्र स्थापित किए हैं। इससे लोगों को तकनीकी सहायता मिलती है।

 

सरकार की ओर से दी जाने वाली वित्तीय सहायता का विवरण

 

  •  एक सौ से 199.99 वर्ग मीटर की जमीन पर बने मकानों के लिए वर्षा जल संग्रहण प्रणाली की कुल लागत का 50 फीसद या 10 हजार रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी।
  •  दो सौ से 299.99 वर्ग मीटर की जमीन पर बने मकानों के लिए कुल लागत का 50 फीसद या बीस हजार रुपये की सहायता।
  •  तीन सौ से 399.99 वर्ग मीटर की जमीन पर बने मकानों के लिए कुल लागत का 50 फीसद या 30 हजार रुपये की सहायता।
  •  चार सौ से 499.99 वर्ग मीटर की जमीन पर बने मकानों के लिए कुल लागत का 50 फीसद या 40 हजार रुपये।
  •  पांच सौ वर्ग मीटर और उससे अधिक जमीन पर बने मकानों के लिए कुल लागत का 50 फीसद या 50 हजार रुपये।

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