देश की राजधानी दिल्ली में सर्दी का मौसम आने के साथ ही न सिर्फ कोहरा बढ़ने लगा है बल्कि पिछले कई दिनों से बढ़ता वायु प्रदूषण लोगों को डरा रहा है. यही नहीं, वायु प्रदूषण के कारण सांस तक लेना मुश्किल हो रहा है.

वहीं, दिवाली की रात दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता (Delhi Air Quality) और गंभीर हो सकती है. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु मानक संस्था सफर के मुताबिक, अगले 24 घंटे के भीतर पराली जलने, पटाखा चलने और हवा की दिशा का रुख बदलने समेत अन्य मौसमी गतिविधियों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा. जबकि दिल्‍ली में एक्‍यूआई 500 से ज्‍यादा दर्ज हो सकता है.

इसके अलावा सफर ने अनुमान जताया है कि आतिशबाजी नहीं होने के बावजूद हवा बहुत खराब श्रेणी में पहुंचेगी. वहीं, पिछले वर्षों के मुकाबले यदि सिर्फ 50 फीसदी ही पटाखों का इस्तेमाल होता है तो भी हवा गंभीर श्रेणी में पहुंच जाएगी. इसके अलावा सफर ने बताया कि 24 घंटे में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के 3271 मामले दर्ज किए गए हैं और इसकी प्रदूषण में आठ फीसदी हिस्सेदारी रही. जबकि पराली जलने की अधिक घटनाओं के कारण पीएम 2.5 के स्तर की प्रदूषण में गुरुवार को 20 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी.

इस बार दिल्‍ली में टूट सकता है रिकॉर्ड?
सफर के मुताबिक, दिवाली के अगले दिन यह 35 से 40 फीसदी तक पहुंच सकता है. इससे हवा का स्तर बहुत खराब श्रेणी में दर्ज हो सकता है. सफर का अनुमान है कि दिवाली के अगले दिन एक्यूआई 500 से अधिक दर्ज हो सकता है. आंकड़ों के मुताबिक, दिवाली पर दिल्‍ली की हवा में सबसे ज्‍यादा जहर घुलता है. 10 अक्टूबर 2016 को एक्‍यूआई 431 रहा था. जबकि 19 अक्टूबर 2017 को यह 319 दर्ज किया गया. वहीं, 7 नवंबर 2018 को यह 281 रहा था. इसके अलावा 27 अक्टूबर 2019 में 337 और पिछले साल 14 नवंबर 2020 को एक्‍यूआई 414 रहा था, जो कि सबसे अधिक था. सफर का अनुमान सही साबित हुआ तो दिल्‍ली की हवा इस बार जानलेवा साबित होगी.

वहीं, काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वॉटर (CEEW) की प्रोग्राम असोसिएट एल. एस. कुरिंजी ने कहा कि आने वाले दिनों में पराली का धुआं, दिवाली पर आतिशबाजी और गिरता तापमान भी हवा को काफी खराब कर सकता है.

मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्‍ली में बुधवार को मिक्सिंग हाइट 1700 मीटर और वेंटिलेशन इंडेक्स 500 वर्ग मीटर रहा है. जबकि दिवाली के मौके पर मिक्सिंग हाइट 2000 मीटर और अगले दिन यानी 5 नवंबर को 1900 मीटर रहेगी. इसके अलावा गुरुवार और शुक्रवार को वेंटिलेशन इंडेक्स 8-10 हजार वर्ग मीटर रहेगा.

शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’, तो 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है. वहीं, एक्‍यूआई को आठ प्रदूषण कारकों के आधार पर तय करते हैं, जो कि PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, और NH3 Pb होते हैं. 24 घंटे में इन कारकों की मात्रा ही हवा की गुणवत्ता तय करती है.

दिल्‍ली और आसपास के इलाकों है ऐसा हाल
दिल्‍ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की वजह से हवा लगातार जहरीली बनी हुई है. दिवाली के दिन यानी गुरुवार सुबह दिल्‍ली के कुछ इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी रहा. इस दौरान पटपड़गंज में 377, शाहदरा में 359, श्रीनिवासपुरी में 310, वजीरपुर में 342, सोनिया विहार में 322, द्वारका सेक्‍टर 8 में 317 और सत्‍यावती कॉलेज के पास एक्‍यूआई 301 दर्ज किया गया. यही नहीं, दिल्‍ली के 27 निगरानी केंद्रों पर भी वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज की गई. जबकि यूपी के नोएडा के सेक्‍टर 62 में 342, सेक्‍टर 1 में 322, सेक्‍टर 125 में 325, सेक्‍टर 116 में 349 समेत कई इलाकों में एक्‍यूआई बहुत अधिक रहा. वहीं, गाजियाबाद के इंदिरापुरम, वसुंधरा और संजय नगर में एक्‍यूआई 300 के करीब बना हुआ है. इसके अलावा ग्रेटर नोएडा के कई इलाकों में भी एक्‍यूआई 290 दर्ज किया गया है.

वायु प्रदूषण का असर शरीर पर सीधे होता है और इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ने लगती है. सांस लेते वक्त इन कणों को रोकने का हमारे शरीर में कोई सिस्टम नहीं है. ऐसे में पीएम 2.5 हमारे फेफड़ों में काफी भीतर तक पहुंचता है. पीएम 2.5 बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. इससे आंख, गले और फेफड़े की तकलीफ बढ़ती है. खांसी और सांस लेने में भी तकलीफ होती है. लगातार संपर्क में रहने पर फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है.

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे [email protected] पर

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