करीब 20 फीसदी यात्री कर रहे हैं सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल 

अनलॉक 6 में गतिविधियों पर छूट के बीच सार्वजनिक परिवहन में 50 फीसदी क्षमता के साथ यात्रा की इजाजत है। मेट्रो की एक कोच में 25 यात्री ही सीटों पर बैठ सकते हैं। जबकि लॉकडाउन से पहले मेट्रो की एक कोच में 250-300 यात्री सफर करते थे। दूसरी तरफ पहले बसों में 70-80 के बीच होती थी। इस वक्त 17 यात्रियों को ही प्र्रवेश की इजाजत है। जिस कारण सड़कों पर लंबा जाम देखने को मिलता है।

मेट्रो-बस के अंदर पाबंदी, बाहर फिर मंडरा रहा है संक्रमण का खतरा

संक्रमण से बचाव के लिए लागू एहतियातों के कारण परिवहन विकल्पों(बस, मेट्रो)में तो पाबंदी लागू है। मगर, बस स्टॉप और मेट्रो स्टेशनों के बाहर सामाजिक दूरी की धड़ल्ले से हो रही अनदेखी से संक्रमण के प्रसार में कमी के बजाय बढ़ने का खतरा फिर मंडराने लगा है। अगर मेट्रो और बसों के बाहर भी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए तो ही हालात को काबू करने में मदद मिल सकती है।

सोशल डिस्टेंसिंग का कही नहीं हो रहा पालन

कोविड की वजह से हर जगह तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए कड़ाई की जा रही है। यहां तक कि बाजारों को बंद भी किया जा रहा है। लेकिन ट्रैफिक जाम की समस्या की वजह से रेड लाइट पर अचानक से सौ से अधिक मोटरसाइकिल सवार जमा हो जोते है। विभिन्न इलाके से पहुंचने वाले बाइक सवार मास्क और हैलमेट तो पहने होते है लेकिन उमस भरी गर्मी की वजह से रेड लाइट पर हैलमेट के शीशे भी उपर लोग कर लेते है। यहां से संक्रमण फैलने की ज्यादातर संभावनाए है।

Leave a comment