स्टैंडर्ड कोच का किराया देकर रैपिड ट्रेन में यात्री प्रीमियम कोच का सफर नहीं कर पाएंगे। इस तरह की धांधली रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) अपने सभी स्टेशनों पर पुख्ता व्यवस्था कर रहा है। कानकोर्स लेवल के साथ ही प्लेटफार्म पर भी आटोमैटिक फेयर कलेक्शन (एएफसी) गेट लगाए जा रहे हैं। मतलब, प्रीमियम कोच के यात्रियों को कानकोर्स के बाद प्लेटफार्म पर भी अपने टिकट का क्यू आर कोड स्कैन करना होगा। इसके बाद ही वे इस कोच में चढ़ सकेंगे।

गौरतलब है कि मेट्रो ट्रेन में प्रीमियम कोच तो कोई नहीं है, लेकिन इसके यात्री मौका पाते ही महिला कोच में घुसते रहे हैं, जिन्हें बाद में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआरपीएफ) के जवानों द्वारा जबरन वहां से निकाला जाता है। ऐसी स्थिति रैपिड ट्रेन में न आए, इसके मद्देनजर पहले से ही व्यवस्था बनाई जा रही है।

जानकारी के मुताबिक मेट्रो में कानकोर्स लेवल (जहां यात्रियों की सुरक्षा जांच होती है और जहां टोकन या कार्ड स्कैन होता है) पर ही एएफसी गेट होते हैं। प्लेटफार्म से ट्रेन में चढ़ते हुए दोबारा से कहीं टोकन स्कैन नहीं होता।

रैपिड ट्रेन में चूंकि दो तरह के कोच हैं, एक प्रीमियम और दूसरा स्टेंडर्ड तो यहां व्यवस्था कायम करने के लिए प्लेटफार्म पर भी एएफसी गेट रहेगा। कानकोर्स लेवल पर तो हर यात्री को अपनी टिकट का क्यू आर कोड स्कैन करना ही है। प्रीमियम कोच के यात्रियों को प्लेटफार्म पर दोबारा भी ऐसा करना होगा।

एनसीआरटीसी अधिकारियों के मुताबिक ट्रेन के भीतर भी प्रीमियम कोच में दरवाजे लगे होंगे। मतलब, स्टेंडर्ड कोच के यात्री इसी श्रेणी के दूसरे कोच में तो आ जा सकेंगे, लेकिन प्रीमियम कोच में प्रवेश नहीं पा सकेंगे। हर स्टेशन पर रैपिड ट्रेन के रुकने की जगह भी चिन्हित होगी। यानी जहां प्रीमियम कोच के यात्री खड़े होंगे, प्रीमियम कोच के दरवाजे भी वहीं खुलेंगे और जहां स्टेंडर्ड कोच के यात्री खड़े होंगे, वहां इस कोच के दरवाजे खुलेंगे।एनसीआरटीसी अधिकारियों के मुताबिक हर रैपिड ट्रेन में एक प्रीमियम कोच होगा। बिजनेस या प्रीमियम श्रेणी के कोच का किराया सामान्य टिकट से अधिक होगा।

एक कोच महिला यात्रियों के लिए भी आरक्षित होगा, लेकिन उसकी श्रेणी स्टेंडर्ड ही होगी। प्रीमियम श्रेणी का कोच अधिक बड़ा होगा और इसमें सीटें पीछे की तरफ झुकी हुई यानी अधिक आरामदायक होंगी। रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) ट्रेनों के यह प्रीमियम कोच प्लेटफार्म स्तर पर एक विशेष लाउंज के माध्यम से सुलभ होंगे।

प्रीमियम लाउंज हवाई अड्डों पर बने लाउंज के समान होंगे, जहां सभी बिजनेस क्लास सुविधाएं होंगी। यहां शानदार माहौल, आरामदायक सोफे, पत्रिकाएं, किताबें, काफी और चाय की वें¨डग मशीनें होंगी।

मालूम हो कि 82 किमी लंबे दिल्ली मेरठ कारिडोर पर साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी के प्राथमिकता खंड पर रैपिड ट्रेन का परिचालन मार्च 2023 से जबकि और पूरे कारिडोर पर 2025 तक चालू करने का लक्ष्य है।

वहीं, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम इन ट्रेनों की एक महत्वपूर्ण विशेषता है, जो ब्रेक लगाने पर बिजली उत्पन्न करती है और यह उत्पादित बिजली ट्रेन सिस्टम के ओवरहेड ट्रैक्शन के माध्यम से वापस इलेक्ट्रिक ग्रिड में चली जाती है।

इसके अलावा रैपिड रेल से जुड़ेे विशेषज्ञों के अनुसार अपने स्लीक और अत्‍याधुनिक डिजाइन के साथ ये ट्रेनसेट, रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लैस हल्के वजन वाले होंगे और ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी), ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल (एटीसी), और ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन्स (एटीओ) के साथ संयोजित होंगे।

बता दें कि आरआरटीएस अपनी तरह की खास प्रणाली है। जिसमें 180 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनें हर 5-10 मिनट में उपलब्ध होगी। यह दिल्ली और मेरठ के बीच की दूरी 55 मिनट में तय करेंगी। इसमें लगभग आठ लाख दैनिक यात्री सफर कर सकेंगे।

Founder of Delhibreakings.com I write Hyperlocal, Automative and Important National related coverages for my Audience. Mail me your love or suggestions on lov@delhibreakings.com or lov.singh@live.com