स्पीड गवर्नर के प्रमाणपत्र के लिए कंपनियों और वाहन डीलरों द्वारा 500 रुपये की जगह 2500 रुपये वसूलने की शिकायतों पर दिल्ली सरकार ने सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि विभाग का आदेश न मानने वाली कंपनियों और डीलरों से सख्ती से निपटा जाए।

 

परिवहन विभाग ने 23 नवंबर को व्यावसायिक वाहन मालिकों को बड़ी राहत देते हुए स्पीड गवर्नर के प्रमाणपत्र के लिए 500 रुपये का शुल्क निर्धारित किया था। अभी भी ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि कंपनियां और वाहन डीलर इसके लिए 2500 रुपये तक वसूल रहे हैं।

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मोटर वाहन कानून के अनुसार प्रत्येक व्यावसायिक वाहन को फिटनेस प्रमाणपत्र परिवहन विभाग जारी करता है। परिवहन विभाग के पास जब वाहन जाता है तो उसमें स्पीड गवर्नर और उसका प्रमाणपत्र होना भी अनिवार्य है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यावसायिक वाहनों में साल 2000 से स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है।

 

 

यह व्यवस्था वाहनों की स्पीड निर्धारित करने के लिए की गई है। आटो टैक्सी यूनियन से किशन वर्मा सहित कई यूनियनों ने इस बारे में परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार से शिकायत की है।

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