पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में मौसम की स्थिति में बदलाव और पराली जलने से राजधानी की वायु गुणवत्ता (Air Quality) को खराब श्रेणी के करीब पहुंच गई है। सरकारी एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिनों में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी को छू सकती है।

शनिवार को सुबह 6 बजे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI), ‘मध्यम’ क्षेत्र में 172 पे था। शुक्रवार को AQI की औसत 180 के रूप में दर्ज की गई जो ‘खराब’ निशान (201) के करीब था। पिछले महीने AQI ‘संतोषजनक’ और ‘मध्यम’ श्रेणियों में थी। अक्टूबर में भी अब तक ‘मध्यम’ दिन देखे गए हैं हालांकि AQI मध्यम श्रेणी के प्रखर पर हैं।

0-500 के पैमाने पर जब AQI 0-50 के बीच हो तो वायु गुणवत्ता को ‘अच्छा’ (न्यूनतम स्वास्थ्य जोखिम) माना जाता है, 51 -100 में ‘संतोषजनक’ (संवेदनशील लोगों को मामूली असुविधा), 100-200 में ‘मध्यम’ (फेफड़े और हृदय रोग से पीड़ित लोगों को सांस लेने में तकलीफ), 200-300 में खराब (लंबे समय तक ज्यादातर लोगों को सांस लेने में तकलीफ), 300-400 में बहुत खराब (लंबे समय तक संपर्क में रहने पर सांस की बीमारी) और 400-500 में ‘गंभीर’ (स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है और पहले से बीमारियों से जूझ रहे लोगो को गंभीर रूप से प्रभावित होता है)।

सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR), जो केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी और पूर्वानुमान विंग है, का कहना है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ सकती है और दिन ढलने के साथ-साथ ’मध्यम’ क्षेत्र के प्रखर तक पहुँच सकती है। एसएएफएफ बुलेटिन में आने वाले दिनों में पंजाब, हरियाणा और पड़ोसी सीमावर्ती क्षेत्रों में हाल ही में देखी गई स्टबल बर्निंग ही इसका सबसे बड़ा कारण बनेगा।

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