7 -8 घंटे पीपीई किट में गुजारना पड़ता है

लोग तो सिर्फ मास्क पहनने से ही परेशान हो जाते है , लखिन जरा उन डॉक्टरों का सोचिये , कोविद वार्ड में ड्यूटी करते वक्त 6-7 घंटे ड्यूटी करते वक्त लगातार पीपीई किट पहन कर रहना बेहद मुश्किल है। दरअसल पीपीई किट पहन कर ज्यादा देर इंसान नहीं रह सकता पीपीई किट पहन आधे घंटे के अंदर अंदर ही सांस लेने में तकलीफ होने लगती है वह टेम्परेचर काफी ज्यादा हो जाता है। ग्लव्स पहनने से हाथों में आक्रण आ जाती है , वही 2 मास्क ऊपर से फेस शील्ड जिसकी वजह से सांस लेना बेहद मुश्किल है।

अब तक 420 डॉक्टर्स का निधन

कोविद अस्पताल में मरीज़ों के बच मेडिकल स्टाफ व डॉक्टरों को मरीजों के साथ साथ खुद की भी रक्षा करनी पड़ती है लेखिन कोरोना वायरस की दूसरी लहार के सामने जहाँ मेडिकल प्रोफेशनल्स हार मानते दिख रहे है ऐसे में पीपीई किट ही सभी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ के लिए बचाव का एक मात्र उपाय है। ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक कोरोना से 420 डॉक्टर्स अपनी जान गावा चुके है। इनमेसे 100 डॉक्टर्स दिल्ली के है जबकि बिहार से 56 डॉक्टर्स कोरोना से जान गवा चुके है वही UP में 41 ,आंध्रप्रदेश – 26 , असम के 3 , बंगाल के 15 , गुजरात में 31 , गोवा -2 , हरियाणा -2 , महाराष्ट्र – 15 और मध्य-प्रदेश में 13 डॉक्टरों की जान जा चुकी है।

क्या वजह है की सुविधा के बाद भी डॉक्टर्स मर रहे है ?

हाल ही में देश के २ बड़े डॉक्टर्स केके अग्रवाल मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टरर प्रभात कुमार का कोरोना से निधन हो गया था , डॉक्टर्स का मन्ना है की डॉक्टर्स कोरोना से सुविधा होने के बावजूद प्रभावीत इसीलिए हो रहे है क्यूंकि कोरोना का सबसे जयादा एक्सपोज़र डॉक्टर्स पर होता है , ज्यादा देर काम करना जो ICU मई काम कर रहे है ,हैवी वायरल लोड इनमे देखा गया है , डॉक्टरों को भी ऑक्सीजन बीएड मिलने में दिक्क्त हुई है , ICU लेट मिला , डॉक्टर्स काम कर रहे है पर सिस्टम बंद पड़ी है यही कारन है की डॉक्टर्स भी इस महामारी के चपेट में जल्द आ जाते है।

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