दिल्ली-मुंबई फ्रेट कॉरिडोर में अधिग्रहण जमीन के घोटाले के मामले पलवल में सामने आए हैं। पलवल में इस फ्रॉड के बाद बाकी जिलों के जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया भी संदेहे के घेरे में है जैसे गुड़गांव, नूंह, रेवाड़ी, फरीदाबाद और नारनौल।

पलवल में जिस प्रकार से 31 लोगों को 6 गज जमीन की रजिस्ट्री में शामिल किया गया इसी प्रकार इन जिलों में भी घोटाले के मामले सामने आ सकते है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि दूसरे जिलों में भी जांच हो सकती है।

कॉरिडोर की लंबाई डेढ़ हजार किलोमीटर है

गुड़गांव, फरीदाबाद, रेवाड़ी, नूंह, नारनौल में भी पलवल में मिले घोटले के बाद सीएम विजिलेंस जमीन अधिग्रहण की जांच को लेकर सक्रिय हो गई है। करीब 8 साल पहले कॉरिडोर के निर्माण के लिए गजट नोटिफिकेशन शुरू हुआ था।

इस कॉरिडोर की लंबाई 1500 किलोमीटर हैं और यह यूपी के दादरी से शुरू होकर हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में मुंबई तक जाता है। इस कॉरिडोर की लंबाई राजस्थान और गुजरात में करीब 565-565 किलोमीटर, हरियाणा और महाराष्ट्र में करीब 177-177 किलोमीटर है। यह फरीदाबाद में यूपी के दादरी से करीब 18 किलोमीटर के बाद प्रवेश करता है।

100 मीटर जमीन के खेल से खुली पोल

इसके लिए 6 गांवों की जमीन का पलवल में अधिग्रहण किया गया है। सेक्शन 4 का नोटिस अधिग्रहण के लिए जारी होने से पहले रेवन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने 2018 से रेलवे नियमों का फायदा उठाने का खेल शुरू कर दिया था। इस पूरे घोटाले का खुलासा तब हुआ जब करीब साढ़े 22 करोड़ रुपये 100 मीटर जमीन की पट्टी का मुआवजा हुआ। इस पूरे मामले की रेलवे अधिकारियों ने जांच की और अधिकारियों की संलिप्तता पाए जाने पर सीएम मनोहर लाल के संज्ञान में लाया गया।

 

 

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