दिल्ली में ख़रीदे जाएँगे आपके कचड़े.

बीते कुल सालों में इलेक्ट्रानिक कचरा काफी बढ़ चुका है। मोबाइल, लैपटाप सहित अन्य सुविधाभोगी उपकरणों की मांग बढ़ी है। इनके खराब होने के बाद इनके निपटारे के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन इस बारे में पूर्वी निगम ने अपने यहां पहली बार पहल की है। घरों से पुराने और खराब हो चुके इलेक्ट्रानिक उत्पादों को खरीदने के लिए एक निजी कंपनी को अधिकृत किया गया है।

 

2 लाख 40 हज़ार मिलेगा निगम को.

यह कंपनी ई-कचरे का संग्रहण, रिसाइकलिंग और नियमों के अनुसार प्रबंधन भी करेगी। हालांकि इस तरह की योजना दक्षिणी नगर निगम में भी शुरू हो चुकी है। लेकिन वहां निगम को इससे कोई राजस्व नहीं मिलता है। लेकिन पूर्वी निगम को यहां कंपनी से राजस्व भी मिलेगा। स्थायी समिति के अध्यक्ष बीर सिंह पंवार ने बताया कि निजी कंपनी से पूर्वी निगम को हर साल करीब दो लाख 40 हजार रुपये मिलेंगे। इससे निगम को आर्थिक लाभ होगा। साथ ही ई-कचरे के निपटारे का रास्ता साफ हो जाएगा।

 

क्या क्या बेच सकते हैं लोग ?

दरअसल अभी तक लोग अपने घर में पुराने एसी, फ्रीज, मोबाइल, लैपटाप आदि को कबाड़ी में बेच देते थे। इसके लिए निगम की तरफ से कोई सुनियोजित व्यवस्था नहीं थी। इसे देखते हुए पूर्वी निगम ने मई-जून के महीने में ई-कचरा प्रबंधन से जुड़ीं कंपनियों से प्रस्ताव मांगे थे। इसके बाद मैसर्स एटरियो रिसाइकलिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के साथ पूर्वी निगम ने करार किया। बीर सिंह पंवार ने कहा कि कंपनी दस दिन के भीतर काम शुरू कर देगी। सभी उत्पादों की दर तय होगी।

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हालांकि लोगों के लिए यह बाध्यकारी नहीं होगा कि वे अपना कचरा निजी कंपनी को ही दें। इसलिए उम्मीद है कि कबाड़ियों से ज्यादा कीमत ही लोगों को यहां मिलेगी। पूर्वी निगम क्षेत्र लोग जल्द ही निगम की वेबसाइट, मोबाइल एप और अन्य माध्यमों से इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। निगम की वेबसाइट पर ई-मेल आइडी, एप का लिंक और टोल फ्री नंबर दिया जाएगा। इस पर लोग अपने ई-कचरे के बारे में जानकारी देंगे।

हाथों हाथ मिलेगा पैसा.

इसके बाद कंपनी के प्रतिनिधि घर से ही इसे इकट्ठा करेंगे। विक्रेता और एजेंसी के बीच सहमति के अनुसार ई-कचरे लिए उचित मूल्य का भुगतान भी मौके पर किया जाए। पंवार ने बताया कि इस योजना में पूर्वी दिल्ली नगर निगम को कोई खर्च वहन नहीं करना होगा और न ही संरक्षण, मोबाइल एप, संग्रह वाहन, परिवहन नेटवर्क, कर्मचारी आदि के लिए कोई भुगतान करना होगा। बल्कि रायल्टी के रूप में प्रतिमाह 20 हजार रुपये मिलेंगे। उन्होंने इस पहल के लिए निगम के आयुक्त विकास आनंद के प्रयासों की सराहना की है।

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