वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग में अब 10 साल के अधिक पुराने डीजल और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों पर कार्रवाई तेज होने जा रही है। ऐसे वाहनों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान को तेज कर वाहन जब्त करने की रफ्तार बढ़ाई जाएगी। प्रदूषण बढ़ने की आशंका के बीच परिवहन विभाग ने इस संबंध में योजना तैयार की है।

स्क्रैप कंपनियों को सौंपे जा रहे वाहन

इसके साथ ही विभाग ने उम्र पूरी कर चुके वाहनों के मालिकों को दूसरे राज्यों में भी पंजीकरण कराने का मौका दिया है। इसे लेकर विभाग अभी तक छह बार सार्वजनिक सूचना जारी कर चुका है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल चालित वाहनों के चलने पर रोक लगा रखी है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल (एनजीटी) भी ऐसे वाहनों के चलने की अनुमति नहीं देता है। उसी समय से यदा-कदा दिल्ली-एनसीआर में ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई भी होती रही है, लेकिन कभी नियमित रूप से अभियान नहीं चलाया गया था। इस संबंध में यदा-कदा चलाए गए अभियान के तहत एक दिसंबर से अभी तक 258 वाहन जब्त किए जा चुके हैं। परिवहन विभाग ने इनमें से 117 वाहन स्क्रैप करने के लिए निर्धारित कंपनियों को भी सौंप दिए हैं, शेष 141 वाहन भी जल्द ही सौंपे जाएंगे।

Scrap%20Vehicles दिल्ली में एंट्री करते ही 1182 कार ज़ब्त, पुराने वाहन के ऊपर शुरू हुआ स्क्रैप नीति, कही भी हो जाएगा ज़ब्त

दिसंबर में 10 साल पुराना वाहन जब्त एक भी जब्त नहीं 

हालांकि, दिसंबर में 10 साल पुराना एक भी वाहन जब्त नहीं किया जा सका है, जबकि इससे पहले सितंबर से नवंबर तक 20 वाहन जब्त किए गए थे। इनमें सितंबर में 12, अक्टूबर में 18 और नवंबर में 20 वाहन जब्त किए गए। इसके अलावा 15 पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई में सितंबर से नवंबर तक 1,182 वाहन जब्त किए गए हैं। इनमें सितंबर में 54, अक्टूबर में 233 और नवंबर में 495 वाहन जब्त किए गए थे। इनमें से 344 वाहन स्क्रैप करने के लिए कंपनियों को सौंपे जा चुके हैं।

बढ़ रही प्रदूषण से बढ़ी चिंता

विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह मुद्दा तमाम लोगों से जुड़ा है, लेकिन बढ़ रही प्रदूषण की समस्या ने सभी को चिंता में डाल रखा है। ऐसे में ऐसे वाहनों को दिल्ली में नहीं चलने देने का अभियान चलाकर कार्रवाई की योजना बनाई गई है। लोगों से कई बार अपील की गई है कि वे अपने ऐसे वाहनों को उन राज्यों में पंजीकृत करा लें, जहां इनकी अनुमति है। दिल्ली परिवहन विभाग उन्हें एनओसी दे देगा। अगर लोग ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें खुद ऐसे वाहनों को स्क्रैप कराने के लिए आगे आना चाहिए।

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