नए कृषि कानून खत्म हो गए, इनके विरोध में चल रहा आंदोलन भी खत्म हो गया लेकिन आंदोलनकारियों को दिल्ली में प्रवेश से रोकने के लिए लगाया गया बैरिकेड कालिंदी कुंज पर अभी भी नहीं हटाया जा सका है। इन बैरिकेड के कारण नोएडा व ग्रेटर नोएडा नोएडा एक्सटेंशन से दिल्ली आने वाले लाखों लोगों को रोजाना जाम का सामना करना पड़ रहा है।

 

सुबह लोगों को पीक टाइम में होती है परेशानी

सुबह पीक आवर में लोग घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं। इसके बावजूद ये बैरिकेड नहीं हटाए जा रहे हैं। इस रूट से नियमित आने-जाने वाले लोगों का कहना है कि अब न तो कृषि कानून है और न ही उसके विरोध में आंदोलन चल रहा है। फिर यह बैरिकेड आखिर किसलिए लगाया गया है। वहीं, इस बारे में दक्षिण-पूर्वी जिले के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दो राज्यों को जोड़ने वाली सीमा होने के कारण यहां पर सुरक्षा जांच के लिए बैरिकेड लगाए गए हैं ताकि अपराधियों की धरपकड़ की जा सके।

 

बैरिकेड के कारण बनता है बाटलनेक

यमुना नदी पर बना नया पुल जब से चालू हुआ था तब से इस दिल्ली-नोएडा आने-जाने वाले लोगों को जाम से राहत मिल गई थी। लेकिन पिछले साल कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेड यातायात के लिए स्थायी मुसीबत बन गए हैं। छह लेन के यमुना पुल पर नोएडा की ओर से आने वाला वाहनों का रेला पुल के दूसरे छोर पर लगे इस बैरिकेड के कारण बने बाटलनेक में फंस जाता है। पुल का आधा हिस्सा बंद होने के कारण इस पर पीछे तक भयंकर जाम लग जाता है।

 

बंद रखना था तो पुल बनवाया ही क्यों

इस रूट से नियमित रूप से आने-जाने वाले आलोक ने बताया कि पहले जब सिर्फ कालिंदी कुंज बैराज था तो इस मार्ग पर भयंकर जाम लगता था। यह नया पुल चालू हुआ तो कुछ माह तक जाम से पूरी तरह से निजात मिल गई थी। लेकिन, एक साल से जब से ये बैरिकेड लगा दिए गए हैं, अब वही पहले वाली हालत हो गई। सुबह कभी आधा घंटा तो कभी एक घंटा जाम में फंसना पड़ता है। बैरिकेड पर जांच के लिए कोई पुलिसकर्मी भी नहीं होता है, तब भी बैरिकेड लगा रहता है। अगर राहगीरों को जाम में ही फंसाकर रखना है तो आखिर करोड़ों रुपये लगाकर यह पुल बनवाया ही क्यों गया?

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