करोलबाग का बिडनपुरा इलाका भी आग के मुहाने पर है। यहां की तंग गलियों की बहुमंजिला इमारतों में ज्वेलरी बनाने और उसे साफ करने की तीन हजार से अधिक फैक्ट्रियां चल रही हैं। इन फैक्ट्रियाें में आने-जाने का भी एक ही रास्ता है। इनमें काम करने वाले कामगार रहते हैं। ऐसे में यहां भी मुंडका जैसे भीषण अग्निकांड की आशंका जताई जा रही है।

चिंताजनक बात यह है कि आभूषण की सफाई के लिए रसायनों का उपयोग हो रहा है, जो आग लगने की घटना में विकराल रूप धारण करने के साथ हवा और भूजल को प्रदूषित कर रहा है। यहां वर्ष 2018 में एक फैक्ट्री में आग लगने से चार लोगों की मौत हो गई थी। तब उत्तरी निगम ने कार्रवाई करते हुए कई फैक्टियों को सील किया था। अब फिर से यह इलाका विस्फोटक स्थिति में पहुंच गया है।

रिहायशी इलाके में चल रहीं फैक्टियां हादसों को दावत दे रही हैं। इससे यहां कार्य कर रहे कामगारों व स्थानीय लोगों की जान खतरे में है। अगर यहां कोई अप्रिय घटना घटती है तो यहां काम कर रहे कामगारों का बचना मुश्किल है। इसको लेकर चार साल पहले भी उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से सख्त कार्रवाई की गई थी, लेकिन अब यहां फिर से अवैध रूप से ज्वेलरी साफ करने की फैक्टियां शुरू हो गई हैं। इससे लोगों को फिर से दुर्घटना होने का भय सताने लगा है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक इन फैक्टियों में हजारों की संख्या में कारीगर काम करते हैं। ये लोग इन्हीं फैक्टियों में ही सोते हैं। स्थानीय निवासियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गली नंबर 27, 28 व 31 समेत कई गलियों में अवैध रूप से काम चल रहा है। इनमें बड़ी मात्र में तेजाब और अन्य रसायनों का सोने की पालिश करने के इस्तेमाल किया जाता है।

यहां सुरक्षा के उपकरण भी नहीं हैं,जिससे आग लगने पर बचाव हो सके। जिस समय ये लोग सोने की सफाई करते हैं उस समय गलियों से निकलना भी मुश्किल हो जाता है। ये लोग शाम व रात के समय यह काम अधिक करते हैं, जिससे किसी को भनक नहीं लगती। ऐसे में घरों में चल रही फैक्टियां किसी बम बनाने की फैक्ट्री से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि निगम कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करता है।

  • इसको लेकर कार्रवाई की योजना बनाई जाएगी। जहां भी अवैध फैक्टियां चल रही हैं उन पर सख्त कार्रवाई होगी। शशांक आला, उपायुक्त, उत्तरी दिल्ली नगर निगम

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