Delhi Bio Park दिल्ली को नया Bio-Park का तोहफ़ा. 9 Km का लंबा पार्क देगा लोगो को मुफ़्त में बैठने का मौक़ा

प्रदूषण की समस्या से जूझ रही राजधानी को अगले एक-दो सालों में कई मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क मिलने वाले हैं। पीडब्ल्यूडी के स्ट्रीट स्केपिंग प्रोजेक्ट को मिनी बायोडायवर्सिटी पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। पीडब्ल्यूडी सूत्रों के अनुसार, हर सैंपल स्ट्रेच में तितली पार्क बनाए जाएंगे। इनमें ऐसे पौधे भी लगाए जाएंगे जिन पर आकर्षित होकर तितलियां आती हैं।

 

इसके साथ ही इन पार्कों में औषधीय गुणों वाले पेड़-पौधे भी लगाए जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वसंत कुंज के नेल्सन मंडेला रोड, सूरजमल विहार और वजीराबाद में बनाए जा रहे सैंपल स्ट्रेच में तितली पार्क बनाए जाएंगे। इसके बाद अरविंदो रोड, नेहरू नगर और चिराग दिल्ली सैंपल स्ट्रेच पर ये तितली पार्क विकसित किए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी की इस पहल से राजधानी में हरियाली तो बढ़ेगी ही, लोगों को अपने घर के आसपास पिकनिक स्पाट की सुविधा भी मिल जाएगी।

सबसे बड़े सैंपल स्ट्रेच में होंगे पांच तितली पार्क

रिंग रोड पर मोती बाग से लेकर मायापुरी के बीच राजधानी का सबसे बड़ा सैंपल स्ट्रेच बनाया जा रहा है। इसकी लंबाई करीब नौ किलोमीटर है। इसे माडल रोड के रूप में तैयार किया जा रहा है।

 

मिलेंगी ढेर सारी ऐसी सुविधाये

  1. साइकिल ट्रैक,
  2. पार्क,
  3. फव्वारा,
  4. जनसुविधा केंद्र,
  5. ओपन रेस्त्रां,
  6. ओपन थिएटर,
  7. ईवी चार्जिंग स्टेशन,
  8. ईवी बैट्री स्वाइपिंग स्टेशन,
  9. इनफारर्मेशन कियोस्क,
  10. सेल्फी प्वाइंट,
  11. वाटर एटीएम,
  12. मिनी प्लाजा,
  13. ले-बाइ,
  14. छोटे-छोटे पार्क

 

पूरे सैंपल स्ट्रेच के किनारे बनी दीवारों को ग्रेनाइट पत्थर से संवारा जा रहा है। डिजाइनर एलईडी लैंप व बेंच के साथ ही रंग-बिरंगी टाइलें भी लगाई जा रही हैं। पीडब्ल्यूडी के स्ट्रीट स्केपिंग डिपार्टमेंट की ओर से बनाए जा रहे इस सैंपल माडल रोड पर बैठने के लिए पत्थर के बेंच, डिजाइनर लाइटें, फव्वारा आदि लगाए जा रहे हैं। इस नौ किलोमीटर के रोड पर बीच-बीच में पांच तितली पार्क बनाए जाएंगे।

बच्चों के लिए प्रकृति की पाठशाला होंगे तितली पार्क

मोती बाग-मायापुरी सैंपल माडल रोड राजधानी की पहली ऐसी सड़क बनेगी जिस पर बच्चों के खेलने के लिए चिल्ड्रन प्ले जोन और लोगों के एक्सरसाइज के लिए ओपन जिम बनाया जा रहा है। यहां खेलने आने वाले बच्चों को प्रकृति के करीब लाने और उन्हें तितली, चिड़िया, कीट-पतंगों और वनस्पतियों से परिचित कराने के लिए यहां वैसा ही वातावरण तैयार किया जा रहा है।इन तितली पार्कों में जिन तितलियों को पाला जाएगा उनसे संबंधित पूरी जानकारी फोटो के साथ इनफारर्मेशन कियोस्क पर प्रदर्शित की जाएगी। बच्चों के लिए ये पार्क एक तरह से प्रकृति की पाठशाला के रूप में होगे।

लगाए जाएंगे तितली के होस्ट प्लांट

हर प्रजाति की तितली का अपना होस्ट प्लांट होता है। यानि जो तितली जिस पेड़-पौधे पर अंडे देती है, उसका कैटरपिलर उसी पेड़ की पत्तियां खाता है। तितली भोजन नहीं करती है। यह फूलों से नेक्टर (फूलों का रस, पराग) चूसती है। इससे उसे ग्लूकोस व सुक्रोस मिलता है। मादा तितली की पानी की जरूरत भी इसी से पूरी हो जाती है। हालांकि नर तितली जमीन से मड पडलिंग (मिट्टी से नमी हासिल करना) से पानी की कमी पूरी करता है। इससे उसे एक्स्ट्रा हार्मोंस भी मिल जाता है।

वहीं, पत्थर पर बैठकर ये मिनिरल्स व साल्ट प्राप्त करते हैं। मादा तितलियों को आकर्षित करने के लिए नर को अधिक हार्मोन की जरूरत होती है। मादा कभी मड पडलिंग नहीं करती है। तितलियों की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी तितली पार्क में होस्ट प्लांट लगाए जाएंगे।

कासमास, गुलाब, पेंजी, लैटाना, सदाबहार समेत ज्यादातर चपटे आकार के फूलों पर बैठकर तितली उनका रस चूसती है। यही इनके होस्ट प्लांट हैं। अगर इन्हें अपना होस्ट प्लांट नहीं मिलता है तो ये अंडे ही नहीं देती हैं और वह स्थान छोड़कर अन्य जगहों पर चली जाती हैं।

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