हौसला और हिम्मत से काम लेने वालों के लिए कभी कोई मुश्किलें आड़े नहीं आती। वह हर मुश्किलों का सामना करते हुए सफलता पा ही लेते हैं और ऐसे ही मुश्किलों से सामना करते हुए आगे बढ़े तेजिंदर मेहरा (Tejindar Mehra). सिर्फ़ एक हाथ के साथ जन्मे तेजिंदर को उनके ख़ुद के माता-पिता ने हीं बेच दिया।

लेकिन अगर उनका किसी ने साथ दिया तो वह थी उनकी बुआ जिन्होंने तेजिंदर को पालने का काम किया। तभी से तेजिंदर के संघर्ष की शुरुआत हुई और कोरोना की वज़ह से काम बंद होने पर भी वह चिकन टिक्का किंग के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं। फिलहाल तेजिंदर सोशल मीडिया पर पूरी तरह से छाए हुए हैं लोग उनकी कहानी को बहुत ज़्यादा वायरल कर रहे हैं और उनके संघर्षों को देखकर प्रेरित भी हो रहे हैं।

Tejindar-Mehra
एक हाथ नहीं होने के कारण माता पिता ने बेटे को भिखारियों से बेचा, बुआ ने छुड़ाकर बनाया चिकन टिक्का किंग 6

दिल्ली में जन्मे तेजिंदर जिनकी उम्र अभी सिर्फ़ 26 वर्ष है। आपको बता दें तो जब उनका जन्म हुआ था तब उनके दो हाथ होने के बजाय सिर्फ़ एक ही हाथ था। इस बात से चिंतित उनके माता-पिता ने हीं उन्हें बीस हज़ार में बेच दिया और उसी समय से उनके जीवन में संघर्ष भी शुरू हुई।

सबसे दुखद बात यह है कि उनके माता-पिता ने उन्हें भीख मांगने वाले गिरोह को बेच दिया था। लेकिन तेजिंदर की अपनी बुआ से यह सब देखा नहीं गया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी उन्होंने तेजिंदर को अपने पास रखकर पालने का निश्चय किया और वह आगे आकर भिखमंगो के गिरोह से उन्हें छुड़ा कर अपने घर ले आई।

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एक हाथ नहीं होने के कारण माता पिता ने बेटे को भिखारियों से बेचा, बुआ ने छुड़ाकर बनाया चिकन टिक्का किंग 7

तेजिंदर की बुआ के पास तेजिंदर को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे लेकिन फिर भी किसी तरह उन्होंने तेजिंदर को पढ़ाया। साथ ही बुआ उनका पूरा ख़्याल भी रखती थी। तेजिन्दर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहते थे, लेकिन आर्थिक परेशानी के कारण थोड़ी बहुत पढ़ाई करने के बाद तेजिंदर को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। पढ़ाई छोड़ने के बाद तेजिंदर ने घर ख़र्च के लिए काम ढूँढना शुरू किया।

नौकरी ढूँढने के साथ ही तेजिंदर का लगाव वर्कआउट की तरफ़ बढ़ा और वह अपने घर पर ही वर्कआउट करने लगे। शुरुआत में तो उन्होंने सरकारी जिम ज्वाइन किया लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने प्राइवेट जिम जाना शुरु कर दिया। इस तरह उनके कैरियर में जिम की शुरुआत हुई। जिम जॉइन करने के दौरान ही उनके कोच दिनेश ने साल 2016 में तेजिंदर को मिस्टर दिल्ली प्रतियोगिता में अपना नाम रजिस्टर करवाने का एक सुझाव दिया। तेजिंदर ने अपने कोच की बात मानकर अपना नाम रजिस्टर कराया और टाइटल भी जीता और इतना ही नहीं उसके बाद लगातार तेजिंदर ने 2016 और 2018 में भी टाइटल जीता।

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लेकिन अभी भी उनके घर की आर्थिक स्थिति सुधरी नहीं थी। लेकिन जिम में उन्हें काफ़ी अनुभव मिल चुका था। जब घर ख़र्च चलाना मुश्किल हो गया तब तेजिंदर एक फिटनेस कोच बन, लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू किए। लेकिन दुर्भाग्यवश एक बार फिर उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया।

लेकिन इस लॉकडाउन के दौरान भी तेजिंदर ने हिम्मत नहीं हारी और ख़ुद को दूसरी ओर मोड़ लिया। जब लॉकडाउन ख़त्म होना शुरू हुआ तब उन्होंने अपने ट्रेनर से 30 हज़ार रुपए उधार लेकर दिल्ली में ही एक चिकन पॉइंट की शुरुआत कर दी। तेजिंदर का यह आइडिया पूरी तरह से हिट हुआ और उनका यह चिकन प्वाइंट लोगों को बहुत पसंद आया।

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तेजिंदर अपने स्टॉल पर हाफ प्लेट चिकन टिक्का 150 रुपए में तो वहीं फुल प्लेट टिक्का 250 रुपए में बेचते हैं। आपको बता दें तो तेजिंदर सिर्फ़ एक हाथ से ही चिकन टिक्का बनाते हैं और लोगों को सर्व करते हैं। स्वाद और गुणवत्ता अच्छी होने के कारण काफ़ी भीड़ होती है उनके स्टॉल पर।

फिलहाल दिल्ली में कोविड-19 की केसेज बढ़ने के कारण उनका बिजनेस एक बार फिर प्रभावित हुआ है। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि बहुत जल्दी सब कुछ ठीक हो जाएगा और उनका यह बिजनेस एक बार फिर हिट होगा।

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