अगर आपके पास पुरानी गाड़ी है तो यह आपके काम की खबर है। अगर आपकी गाड़ी दो बार फिटनेस टेस्ट (fitness test) में फेल होती है तो वह सीधे कबाड़ में जाएगी। गाड़ी के एक बार फिटनेस टेस्ट में फेल होने के बाद आप जरूरी फीस देकर इसका फिर से फिटनेस टेस्ट करवा सकते हैं लेकिन दोबारा फेल होने पर इसे सीधे कबाड़ में ले जाना होगा। सरकार ने ऑटोमैटेड स्क्रैपेज पॉलिसी (Automotive Scrappage Policy) के नियमों को शनिवार को अधिसूचित कर दिया।

इसके मुताबिक अगर आप फिटनेस टेस्ट के परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं तो जरूरी फीस देकर अपील कर सकते हैं। अपील दायर किए जाने के 15 दिन के भीतर अपीलेट अथॉरिटी वाहन की आंशिक या पूर्ण जांच का ऑर्डर दे सकती है। अगर वाहन इस फिटनेस टेस्ट में सही पाया जाता है तो अपीलेट अथॉरिटी ऐसे वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी कर सकती है। इसमें अपीलेट अथॉरिटी का फैसला अंतिम और बाध्यकारी होगा।

कब होता है फिटनेस टेस्ट
Rules for RECOGNITION, REGULATION AND CONTROL OF AUTOMATED TESTING STATIONS के मुताबिक पुरानी गाड़ियों की फिटनेस टेस्टिंग के लिए ऑटोमैटेड टेस्टिंग स्टेशन (Automated Testing Station) बनाए जाएंगे। इनमें वाहनों का मैकेनिकल इक्विपमेंट्स के जरिए फिटनेस टेस्ट किया जाएगा। कमर्शियल वाहनों का 8 साल तक हर 2 साल में फिटनेस टेस्ट कराना होता है। 8 साल से अधिक पुराने वाहनों का हर साल फिटनेस टेस्ट होता है। पर्सनल गाड़ियों का 15 साल बाद रजिस्ट्रेशन रिन्यूअल किया जाता है और उसी समय इनका फिटनेस टेस्ट होता है। इसके बाद हार 5 साल में इनका फिटनेस टेस्ट होता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अगस्त में ऑटोमोटिव स्क्रैपेज नीति (Automotive Scrappage Policy) का वर्चुअली शुभारंभ किया था। तब उन्होंने कहा था कि पुरानी कार को स्क्रैप करने पर वाहन मालिक को एक प्रमाण पत्र दिया जाएगा। इससे वाहन मालिक को नई कार खरीदते समय पंजीकरण शुल्क नहीं देना पड़ेगा। वाहन मालिक को रोड टैक्स में भी छूट मिलेगी। पुरानी कार के रखरखाव लागत, मरम्मत लागत और ईंधन दक्षता पर पैसे की बचत होगी। पुराने वाहनों और पुरानी तकनीक के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाएं कम होंगी।

 

देश में कितनी हैं पुरानी गाड़ियां
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (MoRTH) नितिन गडकरी के मुताबिक स्क्रैपेज नीति से कच्चे माल की लागत में लगभग 40 फीसदी की कटौती होने की संभावना है। देश में लगभग 22,000 करोड़ मूल्य के स्क्रैप स्टील का आयात किया जाता है। इस नीति से इसकी निर्भरता कम होगी। भारत को ऑटोमोटिव मैन्युफेक्चरिंग का औद्योगिक केंद्र बनने में मदद मिलेगी। सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का इस्तेमाल करते हुए सभी जिलों में परीक्षण केंद्र बनाएगी।

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे [email protected] पर

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