कोरोना महामारी से एक तरफ जहाँ सारा विश्व जूझ रहा है, अर्थव्यवस्था का हाल बुरा है। वहीं इसके पाॅजिटिव इफैक्ट भी देखने को मिल रहे हैं। ताजा आँकड़ों के अनुसार संतान सुख के लिए तरस रहे परिवारों के लिए कोरोना वरदान बन कर आया है। कई महिलाओं को आईवीएफ़ की कठिन परिस्थितियों के बाद भी बांझपन के दौर से गुजर रही थी, अब माँ बन चुकी हैं।

हाल ही में ऐसा मामला दिल्ली एम्स में देखने को मिला जहाँ 33 वर्षीय महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है। महिला ने बताया कि उन्होंने तीन बार आईवीएफ़ के जरिए बच्चा पैदा करने का प्रयास किया मगर असफल रहा। पिछले एक साल से लाॅकडाउन में घर से ही कर रही थी। पिछले नवंबर ही उन्हें माँ बनने की खुशी प्राप्त हुई है।

वहीं एक अन्य मामले में यूपी की रहने वाली महिला का भी दिल्ली एम्स में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला का आईवीएफ़ के जरिए कोशिशों के बाद भी जब गोद सूनी रही तो, कोरोना के दौरान वर्क फ्राम होम वरदान बनकर आया। महिला ने भी पिछले महीने बच्चे को जन्म दिया है।

एक अध्ययन का हवाला देते हुए बंगलुरु के एक अस्पताल ने कहा है कि कई मामलों में बिना आईवीएफ़ के महिला ने गर्भधारनण किया है। एक ताजा आकड़ों के अनुसार देश के लाॅकडाउन के दौरान आईवीएफ़ मामलों में 35 फीसदी की कमी देखने को मिला है।

विशेषज्ञों की माने तो तनाव और असंतुलित जीवनशैली के कारण दंपतियों में प्रजनन को लेकर कई समस्या पैदा हो जाती हैं। इसके लिए जरुरी है वे अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और तनावमुक्त रहें।

Leave a comment