मेट्रो ट्रेन Private Driver नही चला पा रहे ठीक से

यलो लाइन के बादली डिपो से यात्री सेवा के लिए निकल रही मेट्रो ट्रेन के पटरी से उतरने की घटना पिछले माह हुई थी। इसके बाद हाल ही में यलो लाइन पर घिटोरनी स्टेशन के पास ट्रैक से भटककर मेट्रो के दूसरे ट्रैक की तरफ जाने की घटना हुई। इससे यलो लाइन पर साढ़े चार घंटा परिचालन प्रभावित रहा था। इन घटनाओं को डीएमआरसी ने गंभीरता से लिया है। बादली डिपो में हुई घटना के बाद निजी आपरेटर द्वारा नियुक्त चालक को तुरंत बर्खास्त कर दिया गया था। साथ ही डीएमआरसी ने विभागीय जांच शुरू कर घटना के लिए जिम्मेदार अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की है। इन दोनों घटनाओं से अब निजी एजेंसी के चालकों की दक्षता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

 

पटरी से उतरी मेट्रो ट्रेन, सिग्नल से ले गया आगे

डीएमआरसी के सूत्रों के अनुसार, 30 अगस्त की सुबह करीब 7:10 बजे बादली डिपो से मेट्रो यात्री सेवा के लिए निकल रही थी। इस दौरान यलो लाइन के कारिडोर पर पहुंचने से पहले डिपो में ही पटरी से उतर गई, क्योंकि उस मेट्रो को आटोमैटिक ट्रेन आपरेशन (एटीओ) कंट्रोल सिस्टम द्वारा निर्धारित स्थान तक सिग्नल नहीं दिया गया था। डिपो में क्रास ओवर से पहले मौजूद प्वाइंट तक ही उसे सिग्नल दिया गया था, लेकिन मेट्रो इस सिग्नल से आगे निकलकर क्रास ओवर (जहां पटरी बदलने की सुविधा होती है) तक पहुंच गई, जहां मेट्रो का पहला कोच पटरी से उतर गया। अगस्त 2009 में ब्लू लाइन पर द्वारका स्टेशन पर मेट्रो के पटरी से उतरने की घटना हुई थी। इसके बाद मेट्रो के पटरी से उतरने की कोई घटना सामने नहीं आई थी।

 

कम हैं निजी ड्राइवर का वेतन

डीएमआरसी ने पिछले साल यलो लाइन पर मेट्रो परिचालन की जिम्मेदारी निजी आपरेटर को दी थी, ताकि परिचालन पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके। डीएमआरसी द्वारा आकर्षक वेतनमान पर मेट्रो चालक नियुक्त किए गए थे, जबकि निजी एजेंसी बहुत कम वेतन दे रही है। इससे उनकी दक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।

 

मानवीय भूल से हुई घटनाः

डीएमआरसी का कहना है कि बादली डिपो में मानवीय भूल की वजह से एक खाली मेट्रो ट्रेन के पहले कोच का एक्सल पटरी से उतर गया था । यह मेट्रो यात्री सेवा में नहीं थी। जांच में प्रथमदृष्टया मानवीय चूक के दोषी पाए गए संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ यथोचित विभागीय कार्रवाई की जा रही है । यात्री सेवा के दौरान परिचालन में मेट्रो ट्रेनें आटोमेटिक सिग्नल सिस्टम के उच्चतम मानदंडों का पालन करती हैं और सुरक्षित मोड में आगे बढ़ती हैं। इसलिए किसी तरह की टक्कर या मानवीय भूल की संभावना नहीं रहती। इसलिए डिपो में मेट्रो के पटरी से उतरने की एक घटना को यात्री सुरक्षा से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। यात्री मानकों के मामले में दिल्ली मेट्रो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अव्वल है। मेट्रो सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित व भरोसेमंद है।

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे [email protected] पर

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