दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड रेल परियोजना के भूमिगत कारिडोर के निर्माण को रफ्तार देने के लिए आनंद विहार बस अड्डा परिसर में पहली टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) आ गई है। आकार में बड़ी होने के कारण इसे अलग-अलग हिस्सों में लाया गया है। इन हिस्सों को जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अधिकारियों की मानें तो अगले महीने से आनंद विहार से साहिबाबाद की तरफ भूमिगत कारिडोर के लिए सुरंग खोदने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

दस मंजिल जितनी गहरी होगी सुरंग

न्यू अशोक नगर से आनंद विहार बस अड्डा होते हुए साहिबाबाद बीईएल तक 5.60 किलोमीटर लंबा भूमिगत कारिडोर बनना है। आनंद विहार बस अड्डा परिसर में इसका भूमिगत स्टेशन बनेगा। यह हिस्सा जमीन के 20 मीटर नीचे बनेगा। सामान्य रूप में इस गहराई को समझा जाए, तो खोदाई के बाद नीचे से ऊपर तक करीब दस मंजिला इमारत खड़ी की सकती है। भूमिगत हिस्से की चौड़ाई करीब 6.50 मीटर होगी। टीबीएम को उतारने के लिए जमीन के नीचे कंक्रीट का रास्ता व सुरक्षा दीवार (लां¨चग शाफ्ट) बनाई जा चुकी है।

चार टीबीएम से होगा काम

भूमिगत हिस्से को बनाने के लिए चार टीबीएम की मदद से सुरंग खोदी जाएगी। दो टीबीएम से आनंद विहार बस अड्डे से न्यू अशोक नगर की तरफ करीब तीन किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जाएगी, जबकि बाकी दो टीबीएम से आनंद विहार बस अड्डे से साहिबाबाद बीईएल तक सुरंग खोदी जाएगी। एक मशीन आ चुकी है। बाकी मशीनें आने वाले कुछ महीनों में आ जाएंगी। भूमिगत हिस्से में वायु संचार के लिए एक एयर वेंटिलेशन शाफ्ट का निर्माण भी चल रहा है।

भूमिगत कारिडोर से जुड़े तथ्य 

  • 20 मीटर होगी गहराई
  • 5.60 किलोमीटर होगी लंबाई
  • 1126 करोड़ रुपये की आएगी लागत
  • 160 किलोमीटर प्रति घंटे की होगी रैपिड रेल की रफ्तार

पुनीत वत्स (मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआरटीसी) का कहना है कि दिल्ली में रैपिड रेल परियोजना के एलिवेटेड सेक्शन के साथ-साथ भूमिगत हिस्से का निर्माण कार्य भी अगले चरण में प्रवेश कर गया है। सुरंग की खोदाई का काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। परियोजना के कार्यों में तेजी लाने के लिए सभी सरकारी एजेंसियों का सहयोग मिल रहा है। एनसीआरटीसी सभी निर्माण गतिविधियां कोविड-19 प्रोटोकाल के अनुपालन के साथ कर रहा है।

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