दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे आधुनिक एएनपीआर (आटोमेटेड नंबर प्लेट रीडर) कैमरों की जद में होगा। एक किलोमीटर के अंतराल पर कैमरे लगाए जाएंगे। इन कैमरों की रेंज 500 मीटर तक होगी। इसके माध्यम से चारों तरफ की गतिविधियों पर नजर होगी। सभी जंक्शन पर तीन से चार कैमरे लगाए जाएंगे। सोहना के समीप अलीपुर से अलवर के बीच कैमरे लगाने की तैयारी भी हो चुकी है। सुरक्षा की व्यवस्था होते ही कैमरे लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।

 

गुरुग्राम जिले के गांव अलीपुर से लेकर मुंबई तक आठ लेन का एक्सेस कंट्रोल ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे बनाया जा रहा है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की कनेक्टिविटी को बेहतर करना है। फिलहाल दूरी तय करने में लगभग 24 घंटे लग जाते हैं। एक्सप्रेस-वे बनाए जाने के बाद 12 घंटे में दूरी तय की जा सकेगी।

 

यात्र पूरी तरह सुरक्षित हो, यदि कहीं किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो कंट्रोल रूम में तत्काल सूचना पहुंच जाए, इसे ध्यान में रखकर एक्सप्रेस-वे पर कैमरे लगाए जाएंगे। एक-एक किलोमीटर के अंतराल पर कैमरे लगाने का निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि सौ प्रतिशत नजर रहे। जितने भी जंक्शन बनाए जाएंगे वहां पर मेन कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे। इनके अलावा भी कई जगह सब-कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे ताकि हादसा होने पर या जाम लगने पर कुछ ही मिनटों के भीतर आगे के कार्य शुरू किए जा सकें।

 

अगले साल तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य:

1380 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की आधारशिला नौ मार्च 2019 को रखी गई थी। निर्माण पर लगभग 95 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। फिलहाल इसे आठ लेन का बनाया जा रहा है। ट्रैफिक का दबाव बढ़ने पर चार लेन तक बढ़ाने की गुंजाइश रहेगी। इसके लिए 21 मीटर चौड़ाई का मीडियन (सड़क के बीच में खाली स्थान) बनाने पर जोर दिया जा रहा है। ट्रैफिक का दबाव बढ़ते ही मीडियन को घटा दिया जाएगा। एक्सप्रेस-वे के बनने से अलवर, दौसा, जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, वडोदरा और सूरत जैसे शहरों की भी कनेक्टिविटी काफी बेहतर हो जाएगी।

Founder of Delhibreakings.com I write Hyperlocal, Automative and Important National related coverages for my Audience. Mail me your love or suggestions on lov@delhibreakings.com or lov.singh@live.com