दिल्ली सरकार ने काम करने वालों का न्यूनतम वेतन बढ़ा दिया है। नई दरें एक अक्टूबर से लागू मानी जाएंगी। वेतन वृद्धि के बाद अकुशल श्रमिकों का वेतन 15,908 से बढ़कर हुए 16064 और अर्ध-कुशल श्रमिकों का वेतन 17,537 से बढ़कर हुआ 17,693 हो गया है। वहीं कुशल श्रमिकों का मासिक वेतन बढकर 19291 रुपये से बढ़ाकर 19473 रुपये हो गया है।

 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सोमवार को दिल्ली के अकुशल, अर्ध कुशल और अन्य श्रमिकों का महंगाई भत्ता बढ़ाने का आदेश जारी किया है, साथ ही उपमुख्यमंत्री ने सभी श्रमिकों और कर्मचारियों को बढ़ी हुई दर के साथ भुगतान सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है।


महंगाई भत्ते के तहत सुपरवाइजर और लिपिक वर्ग के कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन की दर भी बढ़ाई गई है। इनमें गैर मैट्रिक कर्मचारियों का मासिक वेतन 17537 से बढ़ाकर 17693 रुपये, मैट्रिक लेकिन गैर स्नातक कर्मचारियों का मासिक वेतन 19291 से बढ़ाकर 19473 रुपये तथा स्नातक और इससे अधिक शैक्षणिक योग्यता वाले कर्मचारियों का मासिक वेतन 20976 से बढ़ाकर 21184 रुपये कर दिया गया है।

 

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गरीब और श्रमिक वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए कोरोना महामारी के दौरान यह बड़ा कदम उठाया गया है। इसका लाभ लिपिक और सुपरवाइजर वर्ग के कर्मचारियों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र के ऐसे श्रमिकों को महंगाई भत्ते पर रोक नहीं लगाई जा सकती है, जिन्हें सामान्यत: केवल न्यूनतम वेतन मिलता है। इसलिए दिल्ली सरकार ने महंगाई भत्ते को जोड़कर नए न्यूनतम वेतन की घोषणा की है।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि हालांकि हम सरकार के कई खर्चों में कटौती कर रहे है लेकिन श्रमिकों के हित का ध्यान रखते हुए हमने उनका महंगाई भत्ता बढ़ाने का निर्णय लिया है।उन्होंने कहा कि दिल्ली में श्रमिकों को मिलने वाला न्यूनतम वेतन देश के अन्य किसी भी राज्य की तुलना में सबसे अधिक है।

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