राजधानी में कोरोना वायरस बेदम हो रहा है। सोमवार को यहां कोरोना का रिकवरी रेट 90 फीसदी के पार पहुंच गया। विशेषज्ञों का कहना है कि रिकवरी रेट का 90 फीसदी के आंकड़े को पार करना दर्शाता है कि अब संक्रमण पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है। नए मामले कम हो गए हैं। जितने लोग संक्रमित मिल रहे हैं। उससे ज्यादा ठीक हो रहे हैं।    

दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, अब तक कुल संक्रमितों की संख्या 1,46,134 हो गई है और इनमें से 1,31,657 लोग ठीक हो चुके हैं। यानी,रिकवरी दर 91 फीसदी हो गई है। 10 दिन पहले रिकवरी रेट 90 फीसदी पहुंच गया था। तब से यह दर लगातार इतनी ही बनी हुई थी। जो अब इस आंकड़े को पार कर चुकी है। 31 जुलाई से 10 अगस्त के दौरान संक्रमण के 10,800 मामले आए हैं और इतने ही मरीज ठीक भी हुए हैं। यानी,वायरस के नए मामले बढ़ नहीं रहे हैं। इससे रिकवरी दर बढ़ रही है।   


वहीं,जून और जुलाई की बात करे तो 15 जून तक यह दर 39 थी,जो 15 जुलाई तक 81 फीसदी पर पहुंच गई और अब 90 है। यानी,बीते दो महीने में रिकवरी दर 50 फीसदी से अधिक बढ़ी है। एम्स अस्पताल के पूर्व डॉक्टर पीके सिंघल बताते हैं कि रिकवरी दर का लगातार बढ़ना और फिर 90 पार पहुंचना बहुत अच्छे संकेत हैं। यह दर्शाता है कि वायरस लगातार कमजोर हो रहा है। नए मामल आने अगर इसी तरह नए मामले आने कम होते रहे तो उम्मीद है कि अगले एक महीने में रिकवरी दर बढ़ेगा। 


रिकवरी दर बढ़ाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं
उत्तरदायी एम्बुलेंस प्रणाली संक्रमित मरीज के इलाज के लिए सबसे जरूरी चीज है। उसका सही समय पर अस्पताल पहुंचना। संक्रमण के शुरुआती दिनों में स्वास्थ्य विभाग के पास महज 134 एंबुलेंस थी, जो अब बढ़कर 650 हो गई है। इससे मरीजों को सही समय पर अस्पताल पहुंचाया जा रहा 

बेड की संख्या बढ़ाई
राजधानी में मई की शुरुआत में कोविड बेड की संख्या 3700 थी। जिसे अब बढ़ाकर करीब 14000 किया जा चुका है। इससे गंभीर मरीजों को अस्पतालों में भर्ती होने में कोई परेशानी नहीं हुई और वह समय पर ठीक हो सके। 

आईसीयू बेड पर ध्यान: जून की शुरुआत में 500 से कम आईसीयू बेड थे, जबकि आज की तारीख में दिल्ली के कोविड अस्पतालों में 2200 से अधिक आईसीयू बेड हैं, जिनमें से लगभग 1400 खाली हैं। 

 व्यापक जांच:
18 जून से पहले प्रतिदिन औसतन 5,500 जांच हो रही थी, जिसे अब बढ़ाकर प्रतिदिन 23 हजार किया जा चुका है। जांच बढाने से  समय पर संक्रमितों की पहचान हो जाती है और उन्हें बेहतर इलाज मिलता है। 

ऑक्सीमीटर:
 
होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को ऑक्सीप्लस मीटर दिए गए। 
 इससे यह सुनिश्चित हो गया किअपने नब्ज की निगरानी कर सके और समय रहते अस्पताल में भर्ती हो सकें। 

ऐेसे बढ़ती गई रिकवरी दर
तारीख                   संक्रमण दर 
1 से 10 जून               38
10  से 20 जून            42
20  से 30 जून            58
1 से 10 जुलाई            79
10 से 20 जुलाई           85
20 से 31 जुलाई           89     
1  से 10 अगस्त           91

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