दिल्ली में बगैर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) के वाहनों पर सख्ती का असर दिखने लगा है। परिवहन विभाग की सख्ती के बाद डेढ़ माह में पीयूसीसी बनवाने वालों की संख्या 10 हजार प्रतिदिन से 38 हजार प्रतिदिन पर पहुंच गई है। विभाग की प्रवर्तन टीमों की ओर से सात अक्टूबर से अभी तक 16494 वाहनों की पीयूसीसी की जांच की गई है। जिसमें से 1466 वाहन मालिकों के 10-10 हजार के चालान काटे गए हैं। इसमें 10 वाहन धुआं छोड़ने वाले शामिल हैं।

परिवहन विभाग के अनुसार दिल्ली में 18 लाख वाहनों के पास पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं हैं। इसमें से 13 लाख वाहन मालिकों को जागरूक करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। वहीं चालान काटने का अभियान भी सात अक्टूबर से शुरू किया गया है।

स्थिति पर गौर करें तो प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के मामले में विभाग की सख्ती के बाद अब अगस्त की तुलना में प्रतिदिन चार गुने प्रमाणपत्र बन रहे हैं। अगस्त में प्रतिदिन 10 हजार प्रमाणपत्र बन रहे थे जो अब 38 हजार प्रतिदिन बन रहे हैं। आंकडों पर नजर डालें तो 10 अगस्त से एक सितंबर तक प्रतिदिन औसतन 10 हजार पीयूसी प्रमाणपत्र बन रहे थे। यानी दो सितंबर से 18 सितंबर तक औसत 15 हजार प्रतिदिन पर पहुंच गया। जिसके बाद 19 सितंबर से 2 अक्टूबर तक प्रतिदिन औसतन 20 हजार पीयूसी बनाए जा रहे हैं।

तीन अक्टूबर से छह अक्टूबर के दौरान भी 20 हजार प्रतिदिन के हिसाब से पीयूसी बने थे। परिवहन आयुक्त के निर्देश पर विभाग ने गत सात अक्टूबर से बगैर पीयूसी प्रमाणपत्र वालों के खिलाफ चालान काटने का अभियान शुरू किया है। उसके बाद से अब तक के आंकड़ों के अनुसार 38 हजार पीयूसी प्रमाणपत्र प्रतिदिन बन रहे हैं।

वहीं यह भी सामने आ रहा है कि कुछ ऐसे लोगों को भी बगैर पीयूसीसी वाला संदेश पहुंच रहा है जिनके पास वैध पीयूसीसी है। ऐसे लोगोें में पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र के कारोबारी एस के महेश्वरी भी शामिल हैं। उनका कहना है कि उनके पास दोनों कारों के वैध पीयूसीसी हैं, मगर उन्हें पीयूसीसी न होने का संदेश मिला है।

इस बारे में परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वाहन मालिकों के मोबाइल नंबर पर भेजा गया संदेश केवल लोगोें को जागरूक करने के लिए है। अगर किसी ने पीयूसी नहीं बनवाया है तो बनवा लेें। जिनके पास वैध पीयूसीसी है और उनके पास संदेश चला गया है तो उसे नजरंदाज करें। दिल्ली में करीब 973 पीयूसी सेंटर हैं, जहां पीयूसी प्रमाणपत्र बनवाया जा सकता है।

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे [email protected] पर

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