दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में हुए दंगों के दौरान एक व्यक्ति को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार दो लोगों को बरी कर दिया. इस मामले में फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने रूसी लेखक फ्योडोर दोस्तोवस्की की प्रसिद्ध पंक्तियां “क्राइम एंड पनिशमेंट” का हवाला दिया.

तिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा, ‘सौ खरगोशों से आप एक घोड़ा नहीं बना सकते, सौ संदेह एक प्रमाण नहीं बन सकता है.’ इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट  ने दोनों आरोपियों को हत्या के प्रयास और शस्त्र अधिनियम के आरोप से बरी कर दिया. इनदोनों आरोपियोंपर पिछले साल हुए दिल्ली दंगे  में गोली चलाने का आरोप है हलाकि गोली किसने चलायी, अर्थार्त गोली  नहीं  इसका कोई साबुत  पुलिस  और पीड़ित दोनों के पास ही नहीं है।

इस कारन अदालत ने बाबू और इमरान को धारा 307 (हत्या का प्रयास) और शस्त्र अधिनियम के तहत अवैध हथियार रखने के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन दंगा के आरोपों के लिए दोनों को मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।

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