बाजारों में घटी दिल्ली के माल की डिमांड

आम दिनों की तुलना में इस वक्त फैक्टरियां औसतन सिर्फ 30 फीसदी क्षमता पर चल रही हैं। इसकी बड़ी वजह कोरोना काल में अपने घर वापस लौटे कारीगर हैं। दिल्ली की फैक्टरियों के उत्पादों को कीमत व गुणवत्ता के स्तर पर टक्कर उनसे मिली है, जिन्हें उत्तर प्रदेश व बिहार में स्थानीय स्तर पर कुशल कारीगर तैयार कर रहे हैं। कारोबारियों की मानें तो दूसरे प्रदेशों का सामान उन्हें 10-15 फीसदी कम कीमत पर मिल रहा है।

लॉकडाउन ने इन कारीगरों को घर लौटने को मजबूर किया

कारोना काल से पहले दिल्ली के सभी बड़े थोक बाजारों के लिए उत्पादों की आपूर्ति पुराना सीलमपुर, कैलाश नगर, ब्रह्मपुरी, घोंडा, शाहदरा व जाफराबाद जैसे इलाके में स्थित छोटी-छोटी फैक्टरियों से होता था। उत्तर प्रदेश, बिहार समेत दूसरे राज्यों से कारीगर यहां बड़ी संख्या में काम करते थे।

बंद होने लगी फैक्टरियां

फैक्टरी मालिकों का कहना है कि दिल्ली में बने माल पर जीएसटी लगता है और मजदूरी भी ज्यादा है। इससे कीमत बढ़ जाती है। दूसरी तरफ अपने घर पर काम कर रहे कुशल मजदूरों के साथ यह दिक्कत नहीं है। उनका सामान बेहतर होने के साथ सस्ता भी पड़ता है। इसका नतीजा यह हुआ है कि बाजार खुलने के बाद भी दिल्ली के बनने वाले सामान की मांग ज्यादा नहीं है।

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