सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण को ‘जरूरी सेवाओं’में आता है ?

देश कोरोना से बेहाल है , सांसे थम रही है , डॉक्टर्स परेशान है , पर राजधानी राजपथ पर खुदाई का सिलसिला अभी भी चल रहा है। पिछले कई हफ्तों से, राजपथ पर जो इंडिया गेट है उसकी पृष्ठभूमि के रूप में महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की तैयारी चल रही है । 20,000 करोड़ की लागत से बन रहे सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण को ‘जरूरी सेवाओं’ की कैटेगरी में रखा गया है, जिसे लेकर विपक्ष ने विरोध जताया है. सड़क के किनारों पर खोदी गई खाइयों और लाल सड़क अवरोधकों ने प्रतिष्ठित चेन लिंक बाड़ का रास्ता बदल दिया है। हलाकि कोविद महामारी के चलते इसपर रोक लगाने की मांग की गयी है।

क्या क्या बदलाव होंगे ?

राजपथ पर पुनर्विकास का उद्देश्य क्षेत्र को पैदल यात्री के अनुकूल बनाना और आगंतुकों और पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। इसमें लॉन को रीफर्बिश करना, जनपथ पर अंडरपास बनाना और राजपथ के साथ सी हेक्सागन क्रॉसिंग, एवेन्यू के समानांतर चौड़े पैदल मार्ग या फुटपाथ का निर्माण और 12 चयनित स्थानों पर निम्न-स्तरीय पुलों का निर्माण शामिल है। अन्य सुविधाओं में शौचालय, पेयजल सुविधा, वेंडिंग क्षेत्र, पार्किंग स्थल, साइनेज, प्रकाश और सीसीटीवी कैमरे शामिल हैं।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने की मांग

जब देश कोरोना की भयंकर दूसरी लहर से जूझ रहा है और देश में हर रोज हजारों लोगों की मौत हो रही है, ऐसे में हजारों करोड़ की योजना सेंट्रल विस्टा पर चल रहे निर्माण कार्य को रुकवाने के लिए आवाज उठ रही है. विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से अभी निर्माण कार्य को चालू रखने पर लगातार विरोध हो रहा है. वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से आग्रह किया है कि वो दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करें.

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