एनसीआर के दायरे को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा रहा है, जिसके तहत एनसीआर का दायरा दिल्ली से एक सौ किमी की परिधि में सीमित किया जाएगा। इसके पुराने हिस्से को एनसीआर के दायरे से बाहर किया जा सकता है। लेकिन यहां के बड़े शहरों और उन्हें जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गो के किनारों पर बसे दो किमी चौड़ाई वाले क्षेत्र को भी एनसीआर का हिस्सा मानकर विकास किया जाएगा। एनसीआर के दायरे में आने वाले जिलों की जगह अब तहसीलों को इकाई माना जाएगा। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में मास्टर प्लान-2041 के इन प्रस्ताव पर सभी राज्यों ने अपनी सहमति जताई है।

 

हाईवे के दोनों किनारों पर बसे दो किमी चौड़ाई के क्षेत्र को भी माना जा सकता एनसीआर का हिस्सा

इस प्रस्ताव को तैयार करने का उद्देश्य एनसीआर में शामिल राज्यों के शहरी क्षेत्रों को समान रूप से विकसित किया जा सकता है। शहरी विकास सचिव दुर्गाशंकर मिश्र ने बताया कि एनसीआर का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से जुड़े पड़ोसी राज्यों के शहरों का समान रूप से विकास करना है। यहां रहने वाले लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए ढांचागत विकास करना है जिसमें राज्यों के साथ केंद्र की भी हिस्सेदारी रहेगी। यहां के विभिन्न विषयों पर केंद्र व राज्यों के कानून लागू रहेंगे। यह बात उन्होंने एक सवाल के जवाब में कही। एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में ‘नेचुरल कंजर्वेशन जोन’ जैसी भ्रामक शब्दावली को हटाकर उसे नेचुरल जोन कर दिया गया। पुरा कॉनेटिविटी 14 लेन का किया जाएगा.

एनसीआर के दायरे में जिलों की जगह अब तहसीलों को इकाई माना जाएगा

इससे शहरों के विकास में बाधा नहीं आएगी। लेकिन इसका मकसद गांवों के विकास में बाधा पैदा करना अथवा किसानों के लिए मुश्किल पैदा करना नहीं है। एनसीआर की परिधि में पहले जिलों को इकाई माना गया था, जिसे बदलकर अब तहसील को इकाई मानकर इसका हिस्सा तय किया जाएगा। तहसील का कुछ हिस्सा ही एक सौ किमी की परिधि में आएगा, उसे संबंधित राज्य सरकार पर छोड़ दिया जाएगा कि वह चाहे तो पूरी तहसील हिस्सा बन सकती है अथवा बाहर कर सकती है।

एनसीआर का दायरा सौ किमी कर किया जाएगा तर्कसंगत

राजधानी दिल्ली के राजघाट से चौतरफा एक सौ किमी की परिधि में आने वाले क्षेत्र को एनसीआर की हिस्सा माना जाएगा। शहरी विकास सचिव मिश्र ने जागरण से बातचीत में स्पष्ट किया कि हरियाणा का सोनीपत तो एनसीआर का हिस्सा होगा, लेकिन पानीपत जिला तकनीकी रूप से इसका हिस्सा नहीं हो सकता। सौ किमी की परिधि से बाहर होने के कारण राजस्थान का अलवर भी इसका हिस्सा नहीं हो सकता है।

हाईवे से जुड़ने वाले एक सौ किमी के दायरे से बाहर के बड़े शहर भी होंगे एनसीआर का हिस्सा

उत्तर प्रदेश का मेरठ इसका हिस्सा होगा, जबकि मथुरा और मुजफ्फरनगर जिले को इसकी परिधि से बाहर रखा जा सकता है। हालांकि एनसीआर का लाभ प्राप्त करने के लिए एक अन्य प्रविधान भी किया गया है, जिसके तहत दिल्ली से जोड़ने वाले नेशनल हाईवे के दोनों किनारों पर दो किमी की चौड़ाई में बसे क्षेत्र को एनसीआर का लाभ दिया जा सकता है। नेशनल हाईवे से जुड़ने वाले एक सौ किमी के दायरे से बाहर के बड़े शहर भी एनसीआर का हिस्सा हो सकते हैं। लेकिन उन जिलों के ग्रामीण क्षेत्र इससे बाहर होंगे।

एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में तैयार प्रस्तावों पर कई दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन मतभेद होने की वजह से प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। मंगलवार की बैठक में ज्यादातर राज्यों की सहमति बन चुकी है। हरियाणा की ओर से अगले एक सप्ताह के भीतर उसके सुझाव प्रस्तुत होने के बाद फाइनल मसौदे को अक्टूबर के आखिरी सप्ताह अथवा नवंबर के पहले सप्ताह में लोगों की राय जानने के लिए वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।

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