एक कहानी आत्मनिर्भर भारत की

पिछले साल जब देश में कोरोना संकट उत्पन्न हुआ था तब देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नागरिकों को आत्मनिर्भर होने को कहा था , पर शायद तब देश के लोगों को लगा सरकारे कुछ भी कहे , विपत्ति के समय कोई साथ दे न दे केंद्र और राज्य सरकार साथ जरूर देगी , कोरोना की दूसरी व भयानक लहर आते -आते देश में मौतों में इजाफा होने लगा , बेड की कमी हुई , यहाँ तक मुलभुत जरूरत ऑक्सीजन की भी कमी महसूस हुई कई लोगों ने जान गवा दी , और कई अब भी जिंदगी मौत से जूझ रहे है , पर इस संकट की घड़ी में सरकारों ने अपना पलड़ा झाड़ लिया , शायद किसी अपने को खोने की कीमत सरकार नहीं समझ पायी ऐसे में देश ने शायद पिछले साल की सीख को याद रखा था , तभी अनजान लोगों की मदद करने कई लोग सामने आए।

जब सिस्टम हुआ गायब ….

जब सिस्टम पूरी तरह से गायब हो गया तब आत्मनिर्भर भारत ने कमान संभाल ली , देश के कई हिस्सों से ऑक्सीजन सिलिंडर की कमी की खबरे आयी तब भोपाल के मोहम्मद जावेद खान ने अपने ऑटो में ही ऑक्सीजन सिलिंडर फिट कर लोगों की मदद की ,प्यारे खान ने कोविद अस्पतालों को 32 टन ऑक्सीजन मुहैया करने के लिए अपने 1 करोड़ रूपए खर्च कर दिए , खालसा एड के वालंटियर्स ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर घर घर जा जरूरतमंद को ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर पहुँचाया , चम्पालाल गुर्जर ने अपनी बेटी की शादी के लिए जमा किए 2 लाख रूपए ऑक्सीजन खरीदने के लिए डोनेट कर दिए , दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी ने दिल्ली के निजामुद्दीन में ऑक्सीजन लंगर की शुरुवात की , और ऐसे अनगिनत लोग जो की एक आत्मनिर्भर भारत बनाने में सक्षम रहे।

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