आपको सड़क पर कुछ रुपए पड़े मिलें तो आप किस्मत समझकर जेब में रख लेते हैं। मगर सड़क पर मिला 20 रुपए का नोट आपको एक साल की जेल करवा सकता है। यह बात भले बेतुकी लगे मगर सच है। देश में अभी भी ऐसा कानून है जिसके तहत 10 रुपए से अधिक राशि पड़ी मिले तो जानकारी सरकार को देनी होती है।

देश में ऐसे सैकड़ों कानून हैं जो सुनने में भले अटपटे लगें, मगर लागू हैं। इनमें कई कानून ऐसे हैं जिनकी प्रासंगिकता नहीं रही। सरकार ऐसे कानूनों को बदलने का प्रयास तो कर रही है, लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है। कानून मंत्रालय ने 7 साल में करीब डेढ़ हजार ऐसे कानूनों को खत्म किया है। मंत्रालय ने संसदीय समिति को एक रिपोर्ट दी है। इसके मुताबिक अभी करीब डेढ़ हजार कानून हैं जो प्रासंगिक नहीं हैं। पढ़िए ऐसे ही कुछ कानूनों के बारे में…

 

1. ट्रेजर ट्रोव एक्ट 1878

इस कानून के तहत किसी को 10 रुपए से अधिक राशि का कोई खजाना मिलता है तो उसे सूचना सरकार को देनी होगी। ऐसा न करने पर व्यक्ति को एक साल कैद तक की सजा काटनी पड़ सकती है।

 

2. कर्नाटक लाइवस्टॉक इम्प्रूवमेंट एक्ट 1961

इसके तहत बैल रखने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। अगर बैल अपनी नस्ल को आगे बढ़ाने लायक नहीं है तो उस बैल का लाइसेंस कैंसिल करने का अधिकार सरकार को है।

 

 

3. द सराय एक्ट 1867

145 साल पुराना कानून DM द्वारा सराय प्रबंधन से जुड़ा है। इसमें सराय की देखरेख के लिए नियुक्ति, साफ-सफाई, मरम्मत, जहरीली वनस्पति हटवाना और धर्मशाला की पूरी रिपोर्ट का पंजीकरण करना शामिल है।

 

4. संथाल परगना एक्ट 1855

यह कानून ब्रिटिश प्रशासन की जरूरतों के लिए था। इसका मकसद आदिवासियों को अलग-थलग कर उनकी जनसंख्या बढ़ने से रोकना था। आजादी के बाद से इस कानून का प्रयोग ही नहीं हुआ है।

 

5. द दिल्ली रेंट कंट्रोल एक्ट 1958

दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में लागू इस कानून को किराया तय करने, किराएदारों को जबरन निकालने से रोकने के लिए बना था। यह सरकारी प्रापर्टी, स्लम और 3,500 रुपए से ऊपर किराए वाले मामलों में लागू नहीं है।

 

6. टेलीग्राफ वायर्स एक्ट

इसके तहत टेलीग्राफ तार बेचने या 10 पाउंड से ज्यादा वजन के तांबे के तार पास रखने पर पांच साल की कैद व जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन 2013 के बाद यह कानून प्रासंगिक नहीं रहा।

 

7. द पुलिस एक्ट 1922

यह कानून सरकार व पुलिस के प्रति असहमति का अपराध करने वालों के लिए है। इसमें पुलिस को ड्यूटी से रोकना, अनुशासन तोड़ना जुर्म है। छह महीने की सजा या 200 रुपए तक जुर्माना या दोनों सजा संभव।

 

8. प्राइज कंपटीशन एक्ट 1955

आजादी के बाद पजल व पहेलियां सुलझाने के लिए देश में प्रतियोगिताएं होने लगीं। जीतने वालों को नकद राशि मिलती, जो बाद में जुआ बन गया। 1955 में प्राइज कम्पटीशन एक्ट बना पर आज प्रासंगिक नहीं है।

 

9. द रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेनर्स एक्ट 1939

भारत आने वाले हर विदेशी नागरिक को 180 दिन से ज्यादा रहने पर पूरी जानकारी देनी होगी। सभी होटल और लॉज आदि की जिम्मेदारी है कि यह जानकारी सरकार को अनिवार्य रूप से दे। द्वितीय विश्व युद्ध के समय भारत आने वाले विदेशियों की निगरानी के लिए अंग्रेजों ने यह कानून बनाया था।

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे [email protected] पर

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