• इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद से यह सफर केवल 13 घंटे में पूरा हो सकेगा।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का काम तेजी से जारी है। यह योजना सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक है। यह एक्सप्रेस वे अगले दो साल में बनकर तैयार हो जाएग। इसकी जानकारी खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने दी है। गडकरी ने 3 सितंबर को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे दो साल के भीतर तैयार हो जाएगा।

गडकरी ने बताया कि, फिलहाल दिल्ली से मुंबई करीब 1400 किलोमीटर का सफर तय करने में करीब 24 घंटे का समय लगता है। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद से यह सफर केवल 13 घंटे में पूरा हो सकेगा।

  • यह एक्सप्रेसवे आठ लेन का और कुल 1,275 किलोमीटर का होगा।

यह एक्सप्रेसवे आठ लेन का और कुल 1,275 किलोमीटर का होगा। इसे भविष्य में 12 लेन का करने का प्रावधान भी है। इस एक्सप्रेसवे को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के हिसाब से डिजाइन किया जाएगा। यह देश का सबसे बड़ा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे होगा. इसका मतलब यह है कि इस एक्सप्रेस वे से दिल्ली से मुंबई तक का सफर न्यूनतम 11 घंटे में तय किया जा सकता है।

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दिल्ली-मुंबई मार्ग देशभर में तैयार किए जा रहे ग्रीन एक्सप्रेस हाइवे नेटवर्क का ही एक हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 82,514 करोड़ रुपये है। इसमें 20,928 करोड़ रुपये की भूमि अधिग्रहण लागत भी शामिल है। इस परियोजना के महत्व को देखते हुए प्राधिकरण ने पूरी इक्विटी का निवेश खुद करने का फैसला किया है।

 

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  • यह एक्सप्रेसवे आठ लेन का और कुल 1,275 किलोमीटर का होगा।

यह गुरुग्राम से शुरू होकर सवाई माधोपुर, अलवर, रतलाम, झाबुआ, बड़ोदरा से होकर मुंबई जाएगा। उन्होंने बताया कि अगर दिल्ली, अहमदाबाद, बड़ोदरा से मुंबई के मौजूदा हाइवे के किनारे-किनारे ग्रीन एक्सप्रेसवे बनाया जाता तो जमीन अधिग्रहण पर 6 करोड़ रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से खर्च करना पड़ता, इसलिए हमने हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के पिछड़े इलाकों का रास्ता निकाला, जहां जमीनें सस्ते में मिल गईं। यह पहला ग्रीन हाइवे है जो आदिवासी इलाकों से होकर गुजर रहा है.

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