दिल्ली में बगैर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) के वाहन चलाना अब काफी कठिन साबित होने जा रहा है। वाहन में ईंधन डलवाते समय पेट्रोल पंप पर प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसीसी) दिखाना होगा। दिल्ली में यह व्यवस्था सोमवार से लागू होने जा रही है। इसके तहत दिल्ली के विभिन्न पेट्रोप पंपों के आसपास परिवहन विभाग ने प्रवर्तन विभाग की 30 टीमें भी लगाने के निर्देश दिए हैं। ये टीमें चालान काटने का काम करेंगी।

 

परिवहन विभाग के अनुसार दिल्ली में 18 लाख वाहनों के पास पीयूसीसी नहीं हैं। इसमें से 13 लाख वाहन मालिकों को जागरूक करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। वहीं चालान काटने का अभियान भी सात अक्टूबर से शुरू किया गया है। विभाग का कहना है कि अभियान चलाने के बाद पीयूसीसी बनवाने वालों की संख्या बढ़ी जरूर है मगर अभी भी बहुत से लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जबकि पीयूसीसी न होने पर 10 हजार का चालान और छह माह तक की सजा का प्रविधान है। परिवहन विभाग ने पीयूसीसी के प्रति लोगों को प्रेरित करने के लिए अब नया फार्मूला तैयार किया है। विभाग ने सभी पेट्रोप पंप संचालकों से कहा है कि जो लोग उनके पास वाहन में ईंधन डलवाने आते हैं तो उनका पीयूसी प्रमाणपत्र भी देखें।

 

विभाग ने जनता से भी अपील की है कि ईधन डलवाने से पहले ही अपने वाहन का पीयूसीसी निकाल लें और दिखाएं। विभाग ने पेट्रोप पंप वालों से कहा है कि वे केवल वाहन का पंजीकरण नंबर और पीयूसीसी है या नहीं इसकी डिटेल भरकर प्रतिदिन शाम को परिवहन विभाग को आनलाइन भेज देंगे। पेट्रोप पंप संचालकों से कहा गया है कि पेट्रोप पंप पर स्थित सेंटर पर वे लोगों को पीयूसीसी बनवाने के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं। परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है तो इसे अपने- अपने तरीके से रोकना हम सब की जिम्मेदारी है।

 

उन्होंने कहा कि पीयूसीसी जांचने के बारे में सभी पेट्रोल पंपों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि सोमवार से इस व्यवस्था को शुरू किया जाना है। बीच में छुट्टियां पड़ जाने से हो सकता है कि अभी कुछ पेट्रोल पंपों पर संदेश नहीं पहुंच सका हो। सोमवार तक सभी को निर्देश हर हाल में मिल जाएगा। स्थिति पर गौर करें तो प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र के मामले में विभाग की सख्ती के बाद अब अगस्त की तुलना में प्रतिदिन चार गुना ज्यादा प्रमाणपत्र बन रहे हैं। अगस्त में प्रतिदिन 10 हजार प्रमाणपत्र बन रहे थे जो अब 38 हजार प्रतिदिन बन रहे हैं।

कुछ तो अभी भी कर रहा हूँ आप लोगो के लिये ख़ैर आप email पर लिख भेजिए मुझे [email protected] पर

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