दिल्ली के फ़्लाइओवर पर सावधान.

दिल्ली के पुराने फ्लाईओवर मरम्मत की खुराक मांग रहे हैं। इनमें बड़े स्तर पर मरम्मत कराए जाने की जरूरत है। वर्तमान में 18 से अधिक फ्लाईओवर ऐसे हैं, जिनके एक्पेंशन ज्वाइंट व बेयरिंग खराब हो चुके हैं। इससे सामान्य तौर पर तो फ्लाईओवर में खराबी नहीं दिखती है मगर जब आप इनके ऊपर से गुजरते हैं तो ज्वाइंट पर झटका लगता है। क्योंकि ज्वाइंट पर सड़क का तल सपाट नहीं रहता है। इसी तरह फ्लाइओेवर के पिलर और गार्डर के बीच लगाए गए बेयरिंग खराब हो जाने से होने वाली हल्की जंपिंग बंद हो गई है।

 

 

लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा करीब दो साल पहले कराए गए सर्वे में पता चला था कि इन फ्लाइओवरों में काम कराने की जरूरत है। इस सर्वे के आधार पर विभाग ने 2005 से पहले के बने सभी फ्लाइओवरों की केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) से अध्ययन कराने का फैसला लिया था। सीआरआरआइ इन फ्लाईओवरों का तकनीकी अध्ययन करेगा। जिसमें बताएगा कि इनमें क्या क्या काम कराए जाने हैं। पहले यह सर्वे अप्रैल-मई 2019 में शुरू होना था। किन्ही कारणों से काम में देरी हुई और फरवरी 2020 में इसके लिए प्रक्रिया शुरू की गई, मगर इसी बीच कोरोना का प्रकोप बढ़ गया। पहली लहर समाप्त होने के बाद फरवरी-मार्च में फिर इसके लिए तैयारी शुरू हुई, मगर अप्रैल 2021 में फिर कोरोना की दूसरी लहर आ गई। अब फिर से इस बारे में प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अगर कोरोना को लेकर माहौल ठीक रहा तो सर्वे का काम शुरू होने के छह माह में रिपोर्ट आ जाएगी, उसके बाद इस बारे में कार्य शुरू किया जाएगा। अभी सर्व को अक्टूबर, नवंबर से शुरू कराए जाने की योजना है।

अभी जिन फ्लाइओवर में काम होना है उसमें मुख्यरूप से 1982 में ही बने ओबराय फ्लाइओवर से लेकर 2004 में बना कालका जी फ्लाइओवर तक शामिल है। इसके अलावा 1982 में आइटीओ के पास बने आइ पी एस्टेट फ्लाईओवर की दोनों ओर की क्षतिग्रस्त हो चुकी दीवारों को तोड़कर फिर से बनाया गया है। मगर तकनीकी कार्य नहीं कराया जा सका है। जिन फ्लाइओवर में मरम्मत होनी है इसमें कुछ फ्लाइओवर ऐसे हैं जो लोक निर्माण ने नही बनाए थे, ये डीडीए या दिल्ली पर्यटन एवं परिवहन विकास निगम व नगर निगम द्वारा बनाए गए थे। मगर बाद में इन्हें लोक निर्माण विभाग को सौंप दिया गया।

पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि यातायात के अत्यधिक दबाव के कारण फ्लाइओवरों में छोटी मोटी कमियां आ जाती हैं। 15 साल में एक्सपेंशन ज्वाइंट खराब हो जाते हैं जो बदले जाते हैं। विभाग का प्रयास है कि इनके बारे में तकनीकी अध्ययन कराकर सही जानकारी जुटाई जा सके। उसके आधार पर काम किया जाए। उन्होंने बताया कि कोरोना के चलते लगाए गए लाकडाउन के कारण से इस कार्य में देरी हुई है।

 

इन फ्लाईओवरों की होनी है मरम्मत

नाम          साल        निर्माणकर्ता एजेंसी

  • आइ पी एस्टेट 1982 पीडब्ल्यूडी
  • पंजाबी बाग 2001 पीडब्ल्यूडी
  • अफ्रीका एवेन्यू 2001 पीडब्ल्यूडी
  • मायापुरी 2002 पीडब्ल्यूडी
  • मोती बाग 2001 पीडब्ल्यूडी
  • सावित्री सिनेमा 2001 पीडब्ल्यूडी
  • आइआइटी 1992 डीटीटीडीसी
  • सरिता विहार 2001 डीडीए
  • नेहरू प्लेस 2001 पीडब्ल्यूडी
  • कालकाजी 2004 पीडब्ल्यूडी
  • एंड्रूज गंज 2002 पीडब्ल्यूडी
  • नेल्सन मंडेला 2001 डीडीए
  • सफदरजंग अस्पताल 2003 पीडब्ल्यूडी
  • आइएसबीटी 1991 पीडब्ल्यूडी
  • लोनी रोड 1991 डीटीटीडीसी
  • ब्रिटारिया चौक 2004 पीडब्ल्यूडी
  • पंचशील क्लब 2004 पीडब्ल्यूडी
  • जगतपुरी 2002 डीडीए

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