उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बृहस्पतिवार को दिल्ली के निर्माण श्रमिकों को बड़ी राहत दी। उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिकों को पंजीयन और नवीनीकरण के लिए किसी सरकारी दफ्तर के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है। अब 1076 पर फोन करके दिल्ली सरकार की डोर स्टेप सर्विस के जरिए घर बैठे ही उनका पूरा काम हो जाएगा। सिसोदिया ने इसे दिल्ली में सुशासन का अनोखा प्रयोग बताते हुए कहा कि निर्माण श्रमिकों को सभी योजनाओं का लाभ देना सरकार की प्राथमिकता है।

 

दिल्ली सचिवालय में पत्रकार वार्ता के दौरान सिसोदिया ने कहा कि कंस्ट्रक्शन कंपनियों से निर्माण श्रमिक कल्याण सेस मिलता है। निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड के माध्यम से इस राशि का उपयोग श्रमिकों की भलाई के लिए होता है। इसके लिए बोर्ड में इन श्रमिकों का पंजीयन जरूरी है। सिसोदिया ने कहा कि पिछले दिनों जिला श्रम कार्यालयों के दौरे में मजदूरों को लाइनों में परेशान देखने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया है। सिसोदिया ने कहा कि पंजीयन और नवीकरण की प्रक्रिया में जटिलता के कारण बिचौलियों द्वारा श्रमिकों का फॉर्म भरने के नाम पर एक से दो हजार रुपयों तक की अवैध वसूली की जाती थी। निर्माण श्रमिकों को कई दिनों तक लेबर आफिस जाकर घंटों लाइन में लगना पड़ता था। इससे उनका काम भी प्रभावित होता था। आवेदन के बाद वेरिफिकेशन के लिए भी लेबर आफिस जाना पड़ता था।

 

सिसोदिया ने कहा कि अब निर्माण श्रमिकों को 1076 नंबर पर फोन करना होगा। डोर स्टेप डिलीवरी टीम का सदस्य उनके घर जाकर दस्तावेज लेकर फार्म भर देगा। साथ ही उन दस्तावेजों और श्रमिक की फोटो को ऑनलाइन अपलोड कर देगा। आवेदन को ऑनलाइन स्वीकृति मिलने के बाद वे अपना प्रमाणपत्र इंटरनेट से डाउनलोड कर सकते हैं। अन्यथा चार-पांच दिन में घर भेज दिया जाएगा।सिसोदिया ने इन श्रमिकों को मिलने वाली सुविधाओं का ब्यौरा भी दिया।

 

मिलता हैं पैसा.

उन्होंने कहा कि पंजीकृत श्रमिकों को अपनी या बेटे बेटी की शादी के लिए 35000 से 51000 तक की राशि मिलती है। साथ ही, स्वास्थ्य के लिए 2000 से दस हजार तक और मातृत्व लाभ के तौर पर 30000 की राशि और साठ साल के बाद मासिक तीन हजार रुपये पेंशन का प्रावधान है। दुर्घटना में मृत्यु होने पर दो लाख रुपये, सामान्य मृत्यु होने पर एक लाख रुपये और अंतिम संस्कार के लिए दस हजार रुपये व विकलांगता की स्थिति में एक लाख रुपये सहायता का प्रावधान है। साथ ही, श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए 500 से दस हजार रुपये तक मासिक छात्रवृति भी दी जाती है।

 

सब काम आएँगे.

सिसोदिया ने कहा कि अब तक मात्र एक लाख ग्यारह हजार श्रमिकों का पंजीयन हुआ है, जबकि दिल्ली में करीब 10 लाख निर्माण श्रमिक होने का अनुमान है। कौन-कौन आता है निर्माण श्रमिक की श्रेणी मेंबेलदार, कुली, लेबर, राजमिस्त्री, मिस्त्री, मसाला बनाने वाले श्रमिक, कंक्रीट मिक्सर, टाइल्स और स्टोन फीटर, चूना पोताई सफेदी वाले, पेंटर, पीओपी श्रमिक, निर्माण स्थल पर कार्यरत चौकीदार, पलंबर, कारपेंटर, बढ़ई, बिजली मिस्त्री, फिटर, लोहार, माली, शटरिंग मिस्त्री व लेबर, पंप आपरेटर, बार बाइंडर, क्रेन आपरेटर इत्यादि।

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