चीन से अगर मुकाबला करना है , तो उस से बड़ी आर्थिक शक्ति बनना होगा। हमने बहुत से युद्ध और विश्व युद्ध तक देखे , पर आज जीता उसी को माना जाता है , जिसकी आर्थिक शक्ति ज्यादा है।हम हर सामान जो बना सकते हैं , उसे भी बाहर से मंगवा लेंगे , तो विदेशी मुद्रा के साथ यहां पैदा होने वाले रोजगार और टैक्स का भी नुकसान है।


पंखे, वाशिंग मशीन , मिक्सी, कूलर, एसी,दवाइयां,रसायन, कैलकुलेटर , घड़ियां, साइकिल, और तमाम छोटी बड़ी चीजें आज चीन से बन कर आ रही हैं ।बहुत तो इंडियन ब्रांड सिर्फ अपनी स्टाम्प लगाकर चीनी वस्तुएं हमे परोस रहे हैैं और हमे पता भी नहीं चल रहा। इसकी वजह ये नहीं , कि हम इनको बना नहीं सकते , बस जरा सी सस्ती क्या मिली , हमारे व्यापारी लपककर लेे आए बाहर से , और सरकार भी बस संबंध सुधारने के चक्कर में चुपचाप देखती रही।


एटलस साइकिल , एच एम टी वॉच आदि की फैक्ट्री एक एक करके सस्ते चीनी आयात की वजह से बंद हो गई।इसी तरह से हजारों फैक्ट्री बंद हो गई। ये तो दो उदाहरण है। ऐसे ही लाखो वस्तुएं चीन से बनकर आ रही हैं , जो हम बना सकते हैं। पर अब सस्ते चीनी आयात की वजह से नहीं बना रहे।


अब ये सब यहां बने , तो यहां के मजदूर ,मशीन मैन, टेक्नीशियन , अकाउंटेंट, सेल्समैन बहुतों को रोजगार मिलेगा। चीन से लेने की खास वजह वहां का माल सस्ता होना है , सस्ते की वजह एक तो चीन की सरकार द्वारा उद्योगों को कई सहूलियतें देना है , दूसरी वजह वहां से बिना आयात कर चुकाए माल लाना है , चीन अपने व्यापारी को छूट देता है कि वो कैश पेमेंट का सोर्स हवाला भी लिख सकता है ,यानी दूसरे देश का काला धन खपाने की आज़ादी, जबकी कोई भी लोकतंत्र ऐसी छूट नहीं देता। हालांकि भारत में वैध तरीके से कैश ज्यादा खर्चने पर भी जापान , अमेरिका से भी ज्यादा सख्त कानून है।


कुल मिलाकर सरकार को यहां के कानून उद्योगों से सलाह मिलाकर बनाने पड़ेंगे, सरकारी लाल फीताशही पर लगाम लगानी होगी , छोटे उद्योगों को चलाने वालों से समय समय पर सलाह लेनी होगी और चीन से आने वाले माल पर सख्ती करनी होगी और दो नंबरी तरीके से आए माल को रोकना होगा।इस से यहां रोजगार भी बढ़ेंगे और विदेशी मुद्रा बचाने के साथ यहां का बना माल विदेशी मुद्रा कमाकर भी लाएगा। सिर्फ इंपोर्ट वाले सामान को यहां बना लेने से 2 करोड़ रोजगार पैदा होंगे , जो आगे चलकर 5 करोड़ हो जाएंगे, जब हम इनको एक्सपोर्ट भी करना शुरू कर देंगे , सिर्फ थोड़ा सा ध्यान इस तरफ देना होगा , बाकी काम हमारे उद्यमी कर देंगे।हमारे उद्यमी तो टैक्स रियायत भी नहीं चाहते , बस चीनी माल पर टैक्स और पाबंदी बढ़ा दो।अगर भारत में रोजगार देने वाले ज्यादा होंगे और लेने वाले कम , तब अपने आप यूरोप , अमेरिका की तरह प्राइवेट सेक्टर ज्यादा सैलरी देगा , सरकारी संस्थानों पर भी दबाव घटेगा।यानी जब रोजगार बढ़ेगा , तभी अच्छे दिन आएंगे।

जय हिंद।
विनोद मित्तल , मेरठ

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