केंद्र सरकार ने देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे एक हजार से अधिक स्थानों पर यात्री सुविधा केंद्र विकसित करने की योजना बनाई थी। लेकिन भारी निवेश के चलते तीन साल योजना परवान नहीं चढ़ सकी। सरकार ने योजना को सफल बनाने के लिए नीति में बदलाव किया है। इसके तहत छोटे सुविधा केंद्र विकसित करने की मंजूरी मिलेगी।

 

राजमार्गों के किनारे चुनिंदा स्थानों पर जमीन खरीद कर निजी क्षेत्र को लीज पर दी जाएगी। सरकार की इस पहल को खुद का व्यवसाय शुरू करने वालों के लिए एक बेहतरीन मौके के रूप में देखा जा रहा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रायल ने 11 फरवरी को वे-साइट अमनिटी (यात्री सुविधा केंद्र) संबंधी नए दिशा-निर्देश समस्त राज्यों और केंद्रीय हितधारों को भेज दी है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगस्त 2017 में इस योजना को शुरू किया गया था। इसका मकसद लंबी दूरी के निजी और व्यवसायिक वाहनों के चालकों, सड़क यात्रियों के सफर को आरामदेय, सुविधाजनक व सुरक्षित बनाना है।

 

1000 सुविधा केंद्र बनेंगे:

योजना के तहत तीन प्रकार के 1000 सुविधा केंद्र विकसित किए जाने हैं। अधिकारी ने बताया कि 80 फीसदी सुविधा केंद्र पीपीपी मोड व 20 फीसदी निजी भूमि मालिकों और डेवलपरों के जरिये बनाए जाएंगे।

 

जरूरी जमीन का क्षेत्रफल घटाया:

पीपीपी मोड में 20,000 वर्ग मीटर (5 एकड़) और इससे बड़े भूभाग पर सुविधा केंद्र बनाने की योजना थी। सरकार को उम्मीद थी कि निवेशकों, डेवलपरों, कॉरपोरेट और अंतरराष्ट्रीय कंपनियां योजना में दिलचस्पी दिखएंगी। लेकिन भारी निवेश, कम यात्रियों की संख्या और कम मुनाफा के चलते किसी ने योजना में दिलचस्पी नहीं दिखाई। अधिकारी ने बताया कि नीति में बदलाव कर दिया गया है। इसमें कोई भी 200 वर्ग मीटर भूमि खरीद कर छोटे-छोटे यात्री सुविधा केंद्र बना सकता है।

 

सरकार निशुल्क रोड संपर्क मुहैया कराएगी :

एनएचएआई सुविधा केंद्र्रों को सात मीटर चौड़ी रोड कनेक्टिविटी देगा। इसके एवज में कोई फीस नहीं ली जाएगी। बिजली कनेक्शन, सीवर, पेयजल आदि में सहयोग किया जाएगा। छोटे सुविधा केंद्रों में महिला-पुरुष के लिए पृथक टॉयलेट, चाय-कॉफी व अन्य दुकानों की सुविधा उपलब्ध होगी।

 

15 से 30 साल के लिए मिलेगी जमीन:

इसके अलावा एनएचएआई राजमार्गो के किनारे जमीन चिह्नित कर खरदेगा और निजी क्षेत्र के लोगों को 15 से 30 साल के लिए लीज पर देगा। इसका क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर होगा। पहाडी क्षेत्र व कम जगह होने पर क्षेत्रफल कम करने की सुविधा होगी। ऐसे केंद्रो में निजी व व्यवसायिक वाहनों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया जाएगा। यहां पेट्रोल पंप, इलेक्ट्रिकल चार्जिंग स्टेशन, मोटल, रेस्त्रा, फूड कोर्ट, ग्राम बाजार, रिपेरिंग शॉप, मेडिकल स्टोर, पार्किग आदि की सुविधाएं होंगी। सभी केंद्रों में हस्तशिल्प दुकानों को जगह दी जाएगी।

 

दो केंद्रों के बीच 40 किलोमीटर की दूरी :

यात्री सुविधा केंद्र 40 से 60 किमी की दूर पर राष्ट्रीय राजमार्गों के दोनों ओर बनाए जाने हैं। यह केंद्र शहरी क्षेत्र से दूर होंगे और ऐतिहासिक स्थलों, स्मारक, पर्यटन स्थलों का ध्यान रखते हुए बनाए जाएंगे। इसमें दिव्यांगों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा।

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