हो सकता है कि अगले साल से आपको एक लीटर पेट्रोल के लिए 150 रुपए देने पड़ जाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि कच्चे तेल की कीमतें अब रिकॉर्ड तोड़ने जा रही हैं। 2008 में जो कीमत कच्चे तेल की थी, वो अब फिर से आ सकती है।

 

115 रुपए पहुंच गई पेट्रोल की कीमत

फिलहाल कुछ शहरों में पेट्रोल की कीमत 115 रुपए तक पहुंच गई है। डीजल की कीमतें पहले से ही 100 रुपए प्रति लीटर के पार है। इस साल जुलाई में देश में पहली बार पेट्रोल की कीमत 100 रुपए को टच की थी। पेट्रोल की कीमतें ऊपर जाने के कई कारण हैं। सबसे पहला कारण ग्लोबल लेवल पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। दूसरा देश में लगातार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों के टैक्स हमेशा बढ़ रहे हैं।

 

कच्चे तेल की कीमत 85 बैरल डॉलर है

फिलहाल कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल 85 डॉलर के पार हैं। विश्लेषकों का मानना है कि ग्लोबल क्रूड की कीमतें आगे तेजी से बढ़ेंगी। यह जल्द ही 110 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। यह कीमत 2008 के करीब हो सकती है। 2008 में कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल थीं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ें या घटें, केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें अपने टैक्स में कोई कटौती नहीं करनेवाली हैं।

 

अगले साल तक 110 डॉलर बैरल होगी कीमत

वैश्विक ब्रोकरेज हाउस गोल्डमैन ने अनुमान लगाया है कि क्रूड ऑयल की कीमतें अगले साल तक 110 डॉलर प्रति बैरल पर जा सकती हैं। इस साल के अंत तक यह 100 डॉलर तक जा सकती है। यानी आज के हिसाब से कच्चे तेल की कीमतें 30% बढ़ सकती हैं। गोल्डमैन का कहना है कि ग्लोबल डिमांड और सप्लाई मिसमैच अभी भी बना हुआ है। फिलहाल तेल की डिमांड कोरोना से पहले के लेवल पर भी पहुंच गई है। इस वजह से ऐसा अनुमान है कि अगले साल इसकी डिमांड और बढ़ जाएगी।

 

कच्चे तेल की कीमतें 30% बढ़ी तो पेट्रोल 150 रुपए लीटर होगा

गोल्डमैन ने कहा कि तेल की कीमतें 30% बढ़ने का मतलब भारत में पेट्रोल की कीमतें 150 रुपए लीटर हो सकती हैं। डीजल की कीमतें 140 रुपए लीटर तक जा सकती हैं। फिलहाल पेट्रोल 113 रुपए और डीजल 104 रुपए लीटर बिक रहा है। गोल्डमैन के मुताबिक, हमारा अनुमान है कि तेल की ग्लोबल डिमांड 99 मिलियन बैरल प्रति दिन हो सकती है। यह जल्द ही 100 मिलियन बैरल प्रतिदिन पार कर जाएगी, जो कोरोना के पहले का लेवल है।

 

2014 में 49 रुपए लीटर पेट्रोल दे रही थीं ऑयल कंपनियां

जून 2014 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियां यानी हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल पेट्रोल 49 रुपए लीटर डीलर को दे रही थीं। डीलर का मार्जिन और केंद्र तथा राज्य सरकार का टैक्स मिलाकर 74 रुपए लीटर इसे बेचा जा रहा था। फाइनल रिटेल प्राइस में ऑयल मार्केटिंग कंपनियां 66% चार्ज कर रही थीं। जबकि डीलर का कमीशन और टैक्स का हिस्सा 34% होता था।

 

2021 में बेसिक कीमतों में 42% की कमी

अक्टूबर 2021 में ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने रिटेल की कीमतों में 42% कमी कर दी। जबकि टैक्स और डीलर कमीशन का शेयर बढ़कर 58% हो गया। केंद्र सरकार का टैक्स रिटेल प्राइस में साल 2014 में 14% हुआ करता था। 2021 में यह बढ़कर 32% हो गया। राज्य सरकारों का टैक्स 2014 में 17% था जो 2021 में बढकर 23% हो गया।

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