दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत तीनों ही कारिडोर पर रैपिड रेल 50 प्रतिशत तक हरित ऊर्जा से दौड़ेगी।

इस से इस रूट पर टिकट भाड़ा भी मुक़ाबले कम रहेगा. पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए एनसीआर परिवहन निगम ने इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। गौरतलब है कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रूट पर देश के पहले रीजनल रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कारिडोर का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करना है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित आरआरटीएस एनसीआर में परिगमन के ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा। आरआरटीएस के परिचालन में हरित अथवा नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा।

बता दें कि एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस सिस्टम के लिए मुख्य रूप से अक्षय और सौर ऊर्जा से मिश्रित ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआइ) के साथ एक एमओयू (समझौता ज्ञापन) भी साइन किया है, जिससे सिस्टम को लंबे समय तक चलाया जा सके। एनसीआरटीसी ने अभी न्यूनतम 10 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य बनाया है तथा दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की कुल ऊर्जा आवश्यकता का लगभग 40 प्रतिशत तक नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त/उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा है।

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हरित पर्यावरण की दिशा में योगदान के अपने ²ष्टिकोण के तहत एनसीआरटीसी सभी आरआरटीएस स्टेशनों, डिपो और अन्य भवनो के लिए इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आइजीबीसी) सर्टिफिकेशन की उच्चतम रे¨टग प्राप्त करने का प्रयास भी कर रहा है। हरित ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए आरआरटीएस स्टेशन और डिपो की छत पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे। हरित ऊर्जा से लैस स्टेशन का बुनियादी ढांचा ग्रीन परिवहन माडल का अनुभव कराएगा और सार्वजनिक परिवहन का अधिकाधिक उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

पुनीत वत्स (मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, एनसीआरटीसी) का कहना है कि आरआरटीएस रोलिंग स्टाक में अत्याधुनिक रिजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम प्रदान किया जाएगा जो ट्रेन की गतिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। रिजेनरेटिव ब्रेकिंग के परिणामस्वरूप पहियों, ब्रेक पैड्स और रोलिंग स्टाक के ब्रेक-गियर संबंधित अन्य भागों की टूट-फूट भी कम हो जाएगी। इससे ट्रेन के रखरखाव में इन स्पेयर पार्ट/आइटम की खपत घटेगी। लिहाजा कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी। आरआरटीएस रो¨लग स्टाक में कम ऊर्जा खपत के साथ प्रकाश और तापमान नियंत्रण प्रणाली भी होगी।

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