अब कोेई भी कंपनी स्पीड गवर्नर के प्रमाणपत्र के लिए 500 रुपये ही वसूल सकेगी। अभी तक इस प्रमाणपत्र के लिए 3500 से 4000 तक पैसे वसूले जा रहे थे। जिसका विभिन्न यूनियनें विरोध कर रही थीं।
माेटर वाहन कानून के अनुसार प्रत्येेक व्यावसायिक वाहन को फिटनेस कराना अनिवार्य है। परिवहन विभाग के पास जब वाहन जाता है तो उसमें स्पीड गवर्नर हाेना अनिवार्य है। कानून के अनुसार स्पीड गवर्नर का प्रमाणपत्र होना भी अनिवार्य है। जिन वाहनों में कंपनी से ही यह उपकरण लगकर आता है उन मामलाें में उसी कंपनी का डीलर यह प्रमाणपत्र देता है, जिन वाहनोें में बाद में यह उपकरण लगा है उन मामलों में वे कंपनियां प्रमाणपत्र देती हैैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यावसायिक वाहनों में सन 2000 से स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य है। यह व्यवस्था वाहनों की स्पीड निधारित करने के लिए की गई है, जिससे वाहन अत्यधिक तेजी से नहीं चल सकें।
परिवहन विभाग के उपायुक्त ने इसे लेेकर मंगलवार को आदेश जारी किया है। बस एंड कार कंफैडरेशन आफ इंडिया की मोटर वाहन एक्ट कमेटी के चेयरमैन सरदार गुररमीत सिंह ने कहा है कि वे पिछले कई सालों से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने पत्र के माध्यम से समस्या रख रहे थे। सरकार ने यह बहुत ही सही फैसला लिया है। इससे बहुत से वाहन मालिकों को लाभ मिल सकेगा।