नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के मेट्रो को रफ्तार देने वाले मेट्रो मैन ई. श्रीधरन का आखिरकार टूटा दिल्ली मेट्रो रेल निगम से नाता। ई. श्रीधरन ने पिछले दिनों DMRC के प्रधान सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे की पुष्टि करते हुए दिल्ली मेट्रो ने भी कहा कि मेट्रो मैन ई. श्रीधरन दिल्ली मेट्रो से औपचारिक रूप से अलग हो गए हैं।

7 साल तक रहे थे दिल्ली मेट्रो के निदेशक, पद्म विभूषण से भी हुए सम्मानित

ई. श्रीधरन का जन्म 12 जून, 1932 को केरल में हुआ था। वह एक प्रख्यात सिविल इंजीनियर के रूप में शुमार किए जाते है। ई. श्रीधरन 1995 से 2012 तक दिल्ली मेट्रो के निदेशक रहे उन्होंने ही राजधानी दिल्ली में दिल्ली मेट्रो के सपने को हकीकत किया। जिस तरह से उन्होंने दिल्ली मेट्रो को रफ्तार दी, उन्हें देश के ‘मेट्रो मैन’ के रूप में भी जाना जाता है। भारत सरकार ने उनके उम्दा कामों को देखते हुए उन्हें पद्म श्री और पद्म विभूषण से उन्हें 2001 और 2008 में सम्मानित किया था।

4 मार्च को आखिरी बार नजर आए थे

ई. श्रीधरन दिल्ली मेट्रो की यूनिफॉर्म में 4 मार्च को आखिरी बार नजर आए थे। इस दिन पलारीवेट्टम में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर के निरीक्षण का मौका था और इसे सिर्फ 5 महीने के रिकॉर्ड समय में डीएमआरसी ने पुनर्निर्मित कर दिया था।

90 दिन का काम सिर्फ 46 दिन में किया

ई. श्रीधरन जब 32 वर्ष के सहायक इंजीनियर थे तब उन्हें ब्रिज बनाने का काम सौंपा गया। इस ब्रिज को बनाने के लिए दक्षिण रेलवे ने 3 महीने का लक्ष्य तय किया था। वहीं, इस चुनौती का स्वीकार करते हुए सिर्फ 46 दिन में युवा इंजीनियर श्रीधरन ने यह काम पूरा कर दिया। दिल्ली मेट्रो समेत पहले फ्रैट कॉरिडोर को समय से पहले मूर्त रूप देने के लिए ई. श्रीधरन जाने जाते हैं।

 

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